Notorious Maoist leader Basavaraju killed in encounter: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में पिछले 72 घंटों से चल रहे एक बड़े नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों को ऐतिहासिक सफलता मिली है. इस मुठभेड़ में 30 माओवादियों को मार गिराया गया. जिसमें कुख्यात माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल है जिसके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था. बसवराजू जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य था. पिछले 35 वर्षों से माओवादी आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहा. इस ऑपरेशन में एक जवान भी शहीद हुआ और एक अन्य घायल हुआ है.
कौन था बसवराजू?
नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू, जिसे गगन्ना, प्रकाश, बीआर, विजय, दरपू नरसिम्हा रेड्डी, नरसिम्हा और कृष्णा जैसे कई उपनामों से जाना जाता था. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव का निवासी था. 70 वर्ष की आयु का यह माओवादी नेता एक बीटेक डिग्री धारक था. जिसने वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई पूरी की थी. 1970 के दशक में वह माओवादी आंदोलन से जुड़ा और 1987 में बस्तर के जंगलों में लिट्टे के कैंप में बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली. 2018 में उसे CPI (माओवादी) का महासचिव बनाया गया. वह छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में सक्रिय था और हमेशा एके-47 राइफल के साथ दिखता था.
आपराधिक रिकॉर्ड और गुरिल्ला युद्ध में महारथ
बसवराजू माओवादी संगठन का एक रणनीतिकार और युद्ध कला में माहिर था. वह हमलों की योजना बनाने और आक्रामक कार्रवाइयों को अंजाम देने का विशेषज्ञ था. उसके खिलाफ कई गंभीर अपराधिक मामले दर्ज थे जिनमें ये प्रमुख हैं.
- 2010 दंतेवाड़ा हमला- इस हमले में 75 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे. इसमें बसवराजू का हाथ था.
- पुलिसकर्मियों और नागरिकों की हत्या.
- खनन कंपनियों से उगाही.
- सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना.
- वह दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी का प्रमुख था और अबूझमाड़ को माओवादियों की अघोषित राजधानी के रूप में मजबूत करने में उसकी बड़ी भूमिका थी.
अबूझमाड़ में बड़ा ऑपरेशन
नारायणपुर और बीजापुर की सीमा पर अबूझमाड़ के घने जंगलों में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), सीआरपीएफ, और कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम ने 19 मई 2025 की रात को खुफिया जानकारी के आधार पर ऑपरेशन शुरू किया. 21 मई 2025 की सुबह से शुरू हुई इस भीषण मुठभेड़ में 30 माओवादी मारे गए जिनमें बसवराजू भी शामिल था. मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद किए गए. इस ऑपरेशन में एक जवान शहीद हो गया और एक घायल हुआ है. माओवादियों की संख्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि कुछ अन्य बड़े नेताओं के मारे जाने की भी खबर है.
बसवराजू की मौत को माओवादी संगठन के लिए पिछले 40 वर्षों में सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. वह CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति का प्रमुख सदस्य था और संगठन की रणनीति और सैन्य कार्रवाइयों का मास्टरमाइंड था. उसकी मृत्यु से नक्सल आंदोलन कमजोर होने की संभावना है खासकर छत्तीसगढ़, ओडिशा, और आंध्र प्रदेश में. केंद्र सरकार ने 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है और यह ऑपरेशन उस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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