Satyapal Malik in Hospital: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें 22 मई 2025 को दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया. इस खबर ने तब और तूल पकड़ा जब उसी दिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनके खिलाफ किरु जलविद्युत परियोजना में 2200 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल की. सत्यपाल मलिक ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक तस्वीर साझा की. जिसमें वह अस्पताल के बेड पर मेडिकल उपकरणों से जुड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने लिखा अभी मेरी हालत बहुत खराब है मैं किसी से भी बात करने की हालत में नहीं हूं. यह तस्वीर और बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.

किरु प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का आरोप

CBI ने सत्यपाल मलिक और छह अन्य लोगों के खिलाफ किरु जलविद्युत परियोजना (Kiru Hydroelectric Power Project) के सिविल वर्क्स के ठेके में अनियमितताओं के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है. यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 4287 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है. मलिक ने 2021 में दावा किया था कि उन्हें इस प्रोजेक्ट की दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. हालांकि CBI ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय उनके और उनके करीबियों के खिलाफ जांच शुरू की. जिसे मलिक और उनके समर्थक प्रतिशोध की कार्रवाई मान रहे हैं. मलिक ने पहले कहा था मेरे पास 4-5 कुर्ते-पायजामे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा. तानाशाह सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुझे डराने की कोशिश कर रहा है. मैं किसान का बेटा हूं, न डरूंगा, न झुकूंगा.

सोशल मीडिया पर समर्थन और विवाद

सत्यपाल मलिक की अस्पताल की तस्वीर सामने आने के बाद X पर उनके समर्थकों ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की. एक यूजर ने लिखा श्री सत्यपाल मलिक जी के स्वास्थ्य के लिए प्रभु श्री राम से प्रार्थना करती हूं. CBI की चार्जशीट के बाद भी वे मजबूती से सच के लिए लड़ें. दूसरी ओर कुछ यूजर्स ने इसे CBI की कार्रवाई से जोड़कर सवाल उठाए कि क्या यह भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा है. मलिक के समर्थकों का कहना है कि उनकी मुखरता, खासकर पुलवामा हमले, किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के समर्थन में दिए बयानों ने सरकार को असहज किया है.

मलिक का राजनीतिक सफर और विवाद

सत्यपाल मलिक जो 2018-2019 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे. हमेशा अपने बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं. उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन बाद में केंद्र सरकार पर पुलवामा हमले में चूक और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. मलिक ने दावा किया था कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी सरकार की खामियों की थी. जिसे उन्होंने पीएम मोदी के सामने उठाया लेकिन उन्हें चुप रहने को कहा गया. उनकी किताब जिसका संभावित शीर्षक ‘द ट्रुथ अबाउट कश्मीर’ है में इन मुद्दों को विस्तार से उजागर करने की बात कही गई है.

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