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…जब सॉलिसिटर जनरल ने वक्फ पर सुनवाई कर रही पीठ पर ही उठा दिये सवाल, CJI कानून को रोकते रोकते कैसे रुक गये?

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनावाई की. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बेशक तत्काल कोई आदेश नहीं दिया लेकिन दो घंटे से अधिक चली सुनवाई के दौरान कई ऐसे मौके आये जब कोर्ट में तनाव का माहौल बना. कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठे और पीठ कानून के आंशिक हिस्से को रोकते रोकते रुक गई.

SG Tushar Mehta Vs Kapil Sibal in Supreme Court
inkhbar News
  • Last Updated: April 17, 2025 08:33:52 IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ कानून पर सुनावाई की. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बेशक तत्काल कोई आदेश नहीं दिया लेकिन दो घंटे से अधिक चली सुनवाई के दौरान कई ऐसे मौके आये जब कोर्ट में तनातनी का माहौल बना. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मुस्लिम निकायों-व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सीयू सिंह सहित अन्य वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तो यहां तक कह दिया कि …तब तो पीठ को इस मामले पर सुनवाई ही नहीं करनी चाहिए.

SG ने पीठ पर उठाये सवाल

सभी हिन्दू जजों वाली पीठ पर सवाल उठाने को लेकर CJI बोले ‘‘जब हम यहां बैठते हैं, तो अपनी व्यक्तिगत पहचान त्याग देते हैं. हमारे लिए, कानून के समक्ष सभी पक्ष समान हैं. यह तुलना गलत है. अदालत इस केस को अपवाद मानते हुए कानून के एक हिस्से पर रोक लगाना चाहती थी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने नोटिस जारी करने और एक अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने आगे जोड़ा आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो अदालतें इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं, लेकिन ये मामला आपवादिक हो सकता है. इस पर विधि अधिकारी ने समय मांग लिया और चीफ जस्टिस आदेश पारित करते करते रुक गये. कोई फैसला या निर्देश नहीं दिया.इस मामले में आज फिर सुनवाई होगी.

SC ने पूछा बोर्ड में गैर मुस्लिम क्यों

1-पहले दिन की सुनवाई के दौरान तीन ऐसे मुद्दे थे जिसको लेकर कोर्ट ने अपनी आपत्ति जताई जिसमें से एक है वक्फ अधिनियम, 2025 में बोर्ड और परिषदों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुस्लिमों को शामिल करने के लिए तैयार है? फिर बोर्ड में सदस्यों की संख्या और मुस्लिमों की संख्या कम होने को लेकर आपत्ति जताई.

विधि अधिकारी ने आश्वासन दिया कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह हलफनाम देकर यह बात कह सकते हैं. हालांकि, पीठ ने कहा कि नए अधिनियम के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से केवल आठ मुस्लिम होंगे. पीठ ने पूछा, ‘‘यदि आठ मुस्लिम हैं, तो दो ऐसे जस्टिस भी हो सकते हैं जो मुस्लिम न हों. इससे गैर-मुस्लिमों का बहुमत हो जाता है. यह संस्था के धार्मिक चरित्र के साथ कैसे न्यायसंगत है.

 वक्फ बॉय यूजर को मान्यता क्यों नहीं

2-दूसरा मुद्दा था वक्फ बाय यूजर, पीठ ने कहा, ‘‘कोर्ट की ओर से वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वो वक्फ बाई यूजर हों या विलेख से वक्फ हों.वक्फ बाई यूजर की अनुमति कैसे नहीं दी जा सकती. कई लोगों के पास ऐसे वक्फ पंजीकृत कराने के लिए अपेक्षित दस्तावेज नहीं होंगे. वक्फ बाई यूजर का मतलब ऐसी प्रथा से है, जिसमें किसी संपत्ति को धार्मिक या धर्मार्थ बंदोबस्ती के रूप में मान्यता उसके ऐसे प्रयोजनों के लिए दीर्घकालिक, निर्बाध उपयोग के आधार पर दी जाती है, भले ही मालिक उसके लिए लिखित में कुछ न किया हो.आप वक्फ बाई यूजर को कैसे पंजीकृत करेंगे? हां, कुछ दुरुपयोग है, लेकिन वास्तविक मामले भी हैं. सीजेआई ने कहा प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है. वक्फ बाई यूजर को मान्यता दी गई है.

गैर अधिसूचित कैसे कर देंगे

3-तीसरा मुद्दा था जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों का निपटारा करने के लिए दिया गया अधिकार और सक्षम अदालतों से वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार. कोर्ट ने कहा इससे विवाद बढ़ेंगे.

सिब्बल ने पूछा सरकार कैसे तय करेगी मुस्लिम कौन

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उस प्रावधान को चुनौती दी, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ कर सकते हैं. सिब्बल ने पूछा, ‘‘सरकार कैसे तय कर सकती है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं, वक्फ करने का पात्र हूं या नहीं. उन्होंने कहा, सरकार यह कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ कर सकते हैं जो पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वक्फ अधिनियम का प्रभाव पूरे भारत में होगा लिहाजा इसे सुप्रीम कोर्ट को सुनना चाहिए.

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