नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने वोटिंग के दिन व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने और मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए एक फैसला लिया है। इस फैसले के तहत मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन जमा कराने होंगे। मोबाइल फोन जमा करने के लिए काउंटर स्थापित करने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा 2 और निर्देश भी जारी किए गए हैं। ये निर्देश जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 और चुनाव संचालन नियम 1961 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप हैं।

वोटिंग केंद्र में फोन ले जाने की इजाजत नहीं

दरअसल आयोग ने वोटिंग केंद्रों के ठीक बाहर मोबाइल डिपॉजिट सुविधा देने का फैसला लिया है। ये फैसला शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मतदान के दिन लागू होगा। यह निर्देश न केवल बढ़े पैमाने पर मतदाताओं, खासकर सीनियर नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांगों को मोबाइल फोन के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है। चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार मतदान केंद्रों के 100 मीटर के अंदर केवल मोबाइल फोन रखने की इजाजत होगी, लेकिन मोबाइल को स्विच ऑफ मोड में रखना होगा। वोटिंग केंद्रों के एंट्री गेट के पास बहुत ही साधारण पिजनहोल बॉक्स या जूट बैग मुहैया कराए जाएंगे, जहां मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन जमा करने होंगे। मतदाताओं को वोटिंग सेंटर के अंदर मोबाइल ले जाने की इजाजत नहीं होगी।

अनौपचारिक मतदाता पहचान जारी करना

हालांकि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा प्रतिफल स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर कुछ मतदान केंद्रों को इस प्रावधान से छूट दी जा सकती है। चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 49 एम जो मतदान केंद्र के अंदर वोटिंग की गोपनीयता बनाए रखने के लिए लिया गया है,इस नियम का सख्ती से पालन किया जाए। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों को वोटिंग सेंटर के प्रवेश द्वार से 100 मीटर दूरी पर अनौपचारिक मतदाता पहचान पर्ची जारी करने के लिए उम्मीदवारों द्वारा बूथ स्थापित करने की जरूरत बताई है। काउंटर अब किसी भी मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी पर स्थापित किए जा सकते हैं।

सख्ती से चुनाव कराने के लिए प्रतिबंध

यही कारण है कि मतदाता आयोग द्वारा जारी अपनी आधिकारिक मतदाता सूचना पर्ची नहीं ले जा रहे हैं। मतदाताओं को अनौपचारिक पहचान पर्ची जारी करने के लिए मतदान के दिन उम्मीदवारों द्वारा स्थापित बूथ अब किसी मतदान केंद्र से 100 मीटर दूरी पर होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में भारतीय का चुनाव आयोग, चुनाव आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ कानूनी ढांचे के मुताबिक सख्ती से चुनाव कराने के लिए प्रतिबंध है। वहीं, मतदाताओं के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए निरंतर नवाचार कर रहा है।

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