नई दिल्ली। वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। साथ ही अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को किया जाता है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल वट सावित्री का व्रत 26 मई यानी आज है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। इस दिन विवाहित महिलाएं पति दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. लोग मानते हैं कि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक वट सावित्री व्रत के लिए चौघड़िया मुहूर्त सुबह 8 बजकर 52 मिनट से शुरू होगा, जो 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट पर आरंभ होगा, जो 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
इस दौरान पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य करना शुभ रहेगा। वट सावित्री व्रत पर भरणी नक्षत्र, शोभन योग और अतिगण्ड योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस बार वट सावित्री व्रत सोमवार को पड़ रहा है, इस तरह आज सोमवती अमावस्या भी है. यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और शुभ है. चंद्रमा इसी दिन वृषभ में संचार करेगा, जो शुभ संकेत है.
वट सावित्री के व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद महिलाओं को नए वस्त्र धारण करने चाहिए। महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए। सावित्री और सत्यवान को जल, रोली, अक्षत, धूप, फल-फूल आदि चढ़ाने चाहिए।
इसके साथ ही प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद वट वृक्ष के पास जाकर जल चढ़ाएं। वट वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा करें। वृक्ष के चारों ओर मौली का धागा 7 बार लपेटें। वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।
इसके बाद सावित्री और भगवान सत्यवान की कथा सुनें। आखिर में देवी सावित्री और सत्यवान की आरती उतारें। इसके बाद भगवान से अपनी भूल-चूक के लिए माफी मांगे। अंत में भगवान को मीठे का भोग लगाएं। आखिर में प्रसाद का वितरण करें। वट सावित्री की पूजा में कई तरह के फल और मिठाई चढ़ाए जाते हैं। वट सावित्री के व्रत में आम, केला, खजूर व कई तरह के मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं। कई क्षेत्रों में दिन के समय पूड़ी, हलवा और चने की दाल चढ़ाई जाती है।
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