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दिल्ली में भी हो सकती है तुर्की जैसी तबाही, 200 साल पहले आ चुका है भूकंप, जानिए दिल्ली को है कितना खतरा ?

नई दिल्ली। नौकरी और अच्छे जीवन की तलाश में पिछले कुछ सालों में दिल्ली की आबादी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिसके कारण दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियां के अलावा बड़ी संख्या में बिल्डरों द्वारा अपार्टमेंट का निर्माण किया जा रहा है। आबादी के बढ़ने और सुविधाओं के सीमित रहने की वजह से सिस्मिक जोन […]

दिल्ली
inkhbar News
  • Last Updated: March 22, 2023 11:09:25 IST

नई दिल्ली। नौकरी और अच्छे जीवन की तलाश में पिछले कुछ सालों में दिल्ली की आबादी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिसके कारण दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियां के अलावा बड़ी संख्या में बिल्डरों द्वारा अपार्टमेंट का निर्माण किया जा रहा है। आबादी के बढ़ने और सुविधाओं के सीमित रहने की वजह से सिस्मिक जोन 4 में शामिल राजधानी दिल्ली प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील हो रही है।

वहीं दिल्ली में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन में आते हैं। रेड जोन में आने वाले इलाकों में जहां लक्ष्मी नगर, मयूर विहार और अक्षरधाम जैसे इलाके हैं, वहीं ऑरेंज जोन में रोहणी रिठाला, लुटियंस जोन जैसे क्षेत्र आते हैं। इसके अलावा मुनरिका और जेएनयू के इलाके ग्रीन जोन में आते है जिन्हें भूकंप के लिहाज से सुरक्षित माना जाता है।

बता दें, दिल्ली में लाखों बिल्डिंग में से करीब 90 प्रतिशत बिल्डिंग ऐसी हैं, जो भूकंप के तेज झटके सहने में सक्षम ही नहीं है। इसके अलावा दिल्ली की सरकारी एजेंसियों के पास भूकंप से बचने के लिए ना ही किसी तरह की कोई योजना है ना ही कोई मशीनरी।

क्या है विशेषज्ञों की राय

दिल्ली में बड़े भूकंप के संकट को लेकर डिजास्टर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट अभय श्रीवास्तव का कहना है कि दिल्ली – एनसीआर में जिस तरीके से लगातार बिल्डिगों का निर्माण किया जा रहा है, उससे दिल्ली- एनसीआर में भूकंप का खतरा अधिक है। दिल्ली की करीब 90 फीसदी बिल्डिगें असुरक्षित है।

वहीं दिल्ली- गुड़गांव बॉर्डर पर भूकंप के सात फॉल्ट्स हैं। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक सोहना फॉल्ट है, इसके बाद जानकी फॉल्ट है जो सबसे खतरनाक है अगर इनमें से किसी एक में भी कोई बड़ी हलचल होती है। तो तबाही मच सकती है। रिक्टर स्केल पर महज 6 तीव्रता वाला भूकंप ही दिल्ली- एनसीआर में तबाही लाने के लिए काफी है। भूकंप के लिहाज से दिल्ली में लुटियंस जोन, दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा करोल बाग, जनकपुर और दिल्ली एयरपोर्ट जैसे इलाके सबसे ज्यादा खतरनाक है।

भूकंप से बचने के लिए सरकार के प्रयास

बता दें, भूकंप से बचने के लिए राजधानी में कई स्तरों पर प्लानिंग हुई है। इसके अलावा पुर्नेविकास को लेकर भी कई तरह की योजना बनाई गई है, लेकिन इसको लेकर किसी भी तरह का काम नहीं किया गया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लैंड पूलिंग पॉलिसी है, लैंड पूलिंग पॉलिसी 2018 में लाई गई थी। लेकिन यह सफल नहीं हो सकी। इसके अलावा सरकार द्वारा ड्राफ्ट मास्टर प्लान – 2041 भी तैयार किया गया है, जिसमें पुरानी बिल्डिंगों को पुनर्विकसित करने की योजना है। योजना के तहत राजधानी में बनी अवैध कॉलोनियों में बसी आबादी के लिए ऊंची इमारतों का निर्माण किया जाना है। इससे बची हुई जमीनों पर जनसुविधाओं को बढ़ाए जाने के लिए यहां पार्किंग, सड़कें, हेल्थ सर्विसेज और पार्क को बनाया जाएगा।

दिल्ली – एनसीआर में है 7 फॉल्ट लाइन

बता दें, दिल्ली में 7 फॉल्ट लाइन है जिनमें सोहना, दिल्ली फोल्डिंग, दिल्ली-हरिद्वार, दिल्ली-मुरादाबाद, मथुरा, मेन मुरादाबाद और जानकी देवी फॉल्ट प्रमुख हैं। इनमें सबसे खतरनाक सोहना फॉल्ट और दिल्ली फोल्डिंग हैं। मेन मुरादाबाद फॉल्ट के एक्टिव होने पर मेवात, गुड़गांव, तावडू और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भूकंप से खतरा हो सकता है।