उपराष्ट्रपति जगदीप जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर मिले कैश का मामला उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के सिस्टम पर सीधा वार किया है. उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा के यहां मिले कैश की जानकारी देश को एक हफ्ते बाद हुई. पूरे मामले की तीन सदस्यीय कमेटी जांच कर रही है लेकिन वह किसी कानून के तहत नहीं आती है. उन्होंने एक कार्यक्रम में संविधान के अनुच्छेद 142, 143 और 145 का विशेष तौर पर जिक्र किया और कहा कि अनुच्छेद 145 में आपको संविधान की की व्याख्या का अधिकार मिला हुआ है लेकिन राष्ट्रपति के लिए डेडलाइन देते समय नियम का पालन नहीं हुआ.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 145(3) के मुताबिक किसी अहम संवैधानिक मुद्दे पर कम से कम 5 जजों की बेंच द्वारा फैसला लिया जाना चाहिए. राष्ट्रपति के खिलाफ दो जजो की बेंच ने फैसला सुना दिया. जब 5 जजों की बेंच का नियम बना तब तब ऊपरी अदालत में जजों की संख्या केवल आठ थी, आज यह बढ़कर 30 हो गई है लिहाजा संविधान पीठ में जजों की न्यूनतम संख्या बढ़ाने के लिए अनुच्छेद 145(3) में संशोधन करने की जरूरत है.
राज्यसभा इंटर्न के ग्रुप को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि नई दिल्ली में एक जज के घर पर एक घटना घटी, सात दिन तक किसी को इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं चला. हमें खुद से सवाल पूछना चाहिए, यह देरी क्यों, इसे कैसे माफ कर सकते हैं? इस घटनाक्रम से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं जिसका जवाब देना होगा.
उन्होंने कहा कि किसी भी सामान्य स्थिति में यह घटना कानून के शासन को परिभाषित नहीं करती. इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई गई, लेकिन क्या यह कमेटी भारत के संविधान के अधीन है? क्या तीन जजों की इस कमेटी को संसद से पारित किसी कानून के तहत कोई मंजूरी मिली हुई है. कमेटी ज्यादा से ज्यादा सिफ़ारिश कर सकती है. उन्होंने कहा कि हमारे पास जजों के लिए जिस तरह की व्यवस्था है, उसमें संसद ही कार्रवाई कर सकती है. एक महीना बीत चुका है, जांच के लिए तेजी, तत्परता और दोषी ठहराने वाले कंटेंट को सुरक्षित रखने की जरूरत होती है.
आपको बता दें कि होली पर जस्टिस वर्मा के घर आग लगने की घटना हुई थी जिसमें कैश की बरामदगी हुई लेकिन पूरी घटना को छिपाने की कोशिश की गई. मामले ने जब तूल पकड़ा तो फायर डिपार्टमेंट ने कहा कि आग बुझाने के दौरान उसे कोई कैश नहीं मिला था. सुप्रीम कोर्ट ने बयान जारी कर कहा कि जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर और जांच दोनों अलग अलग बाते हैं.
जैसे ही अधजली करेंसी की वीडियो और तस्वीरें बाहर आई सब कुछ साफ हो गया कि कैसे मामले में लीपापोती की जा रही थी. उसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. इसी घटना का जिक्र उप राष्ट्रपति धनखड़ कर रहे हैं. उन्होंने राज्यसभा में भी कहा था कि राजनेताओं का मामला होता तो जमीन आसमान एक हो जाता. अब सवाल पूछ रहे हैं कि क्या जज देश के कानून के तहत नहीं आते हैं. इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर नहीं हुई है.
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