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क्या है शिमला समझौता? जिसे पाकिस्तान खत्म करने की दे रहा धमकी… किसने किए थे दस्तखत?

शिमला समझौता जिसे शिमला संधि भी कहा जाता है. भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय समझौता है. यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश की मुक्ति के बाद दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और शांति स्थापित करने के लिए किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद की स्थिति को सामान्य करना, युद्धबंदियों की वापसी सुनिश्चित करना, और भविष्य में विवादों को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने की प्रतिबद्धता जताना था.

Pahalgam Terror Attack
inkhbar News
  • Last Updated: April 24, 2025 19:30:16 IST

Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान गई. भारत ने इस हमले का जवाब देते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. वाघा बॉर्डर बंद किया, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा पर रोक लगा दिया, और इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों की संख्या 30 तक सीमित कर दी. इन कदमों से तिलमिलाए पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक में जवाबी कार्रवाइयां कीं. जिसमें शिमला समझौते को निलंबित करने की धमकी दी गई.

क्या है शिमला समझौता?

शिमला समझौता जिसे शिमला संधि भी कहा जाता है. भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय समझौता है. यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश की मुक्ति के बाद दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और शांति स्थापित करने के लिए किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद की स्थिति को सामान्य करना, युद्धबंदियों की वापसी सुनिश्चित करना, और भविष्य में विवादों को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने की प्रतिबद्धता जताना था. हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबन और अन्य कठोर कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने इस समझौते को निलंबित करने की धमकी दी है.

कब और किसने किए हस्ताक्षर?

शिमला समझौता हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुआ. जहां भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस पर हस्ताक्षर किए. इसकी मध्यस्थता भारत के विदेश सचिव पी.एन. हक्सर और पाकिस्तान के विदेश सचिव अजीज अहमद ने की. समझौते की प्रक्रिया मई 1972 में शुरू हुई और कई दौर की वार्ता के बाद 2 जुलाई 1972 को इसे अंतिम रूप दिया गया.

शिमला समझौते के प्रमुख बिंदु

द्विपक्षीय समाधान- दोनों देशों ने सहमति जताई कि सभी विवाद, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दे, द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाए जाएंगे. इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इंकार किया गया.

नियंत्रण रेखा (LoC)- 1971 युद्ध के बाद बनी नियंत्रण रेखा को दोनों देशों ने स्वीकार किया और इसे बिना बल प्रयोग के सम्मान करने का वादा किया.

युद्धबंदियों की वापसी- समझौते के तहत पाकिस्तान के लगभग 93,000 युद्धबंदियों को रिहा किया गया.

शांति और सहयोग- दोनों देश शांति, मैत्री, और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हुए.

संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन- दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय नियमों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का सम्मान करने की बात कही.

शिमला समझौते का महत्व

शिमला समझौता भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. क्योंकि यह दोनों देशों को विवादों को बल प्रयोग के बजाय बातचीत से सुलझाने के लिए बाध्य करता है. यह समझौता कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय बनाए रखने में भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है. भारत ने हमेशा इस समझौते को अपनी कूटनीतिक नीति का आधार माना है जबकि पाकिस्तान समय-समय पर इसे कमजोर करने की कोशिश करता रहा है.

पाकिस्तान की निलंबन धमकी क्यों?

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक मानते हुए कठोर कदम उठाए. सिंधु जल संधि का निलंबन जो पाकिस्तान की 70% अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा है. जिसने इस्लामाबाद को हक्का-बक्का कर दिया. जवाब में पाकिस्तान की NSC ने 24 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में बैठक की और भारत के कदमों को ‘गैर-कानूनी’ बताया. पाकिस्तान ने शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की धमकी दी. यह दावा करते हुए कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है. उसने भारत के हिस्से का पानी रोकने को ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार दिया और जवाबी कदमों में वाघा बॉर्डर, हवाई क्षेत्र, और व्यापार बंद कर दिया.

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