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एयर इंडिया हादसे में न बीमाधारक बचे न नॉमिनी, अब किसे मिलेगा इंश्योरेंस का पैसा, जानें क्या कहता है कानून?

Ahmedabad Plane Crash: किसी व्यक्ति का समय कब बदल जाए, यह कोई नहीं बता सकता। कई बार ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं, जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता। अब 12 जून को अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया दुर्घटना की घटना को ही ले लीजिए, क्या किसी को इस भीषण दुर्घटना का […]

Ahmedabad Plane Crash (विमान हादसे में एक साथ मरे बीमाधारक और नॉमिनी के बाद किसे मिलेगा इंश्योरेंस का पैसा)
inkhbar News
  • Last Updated: June 21, 2025 17:17:23 IST

Ahmedabad Plane Crash: किसी व्यक्ति का समय कब बदल जाए, यह कोई नहीं बता सकता। कई बार ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं, जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता। अब 12 जून को अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया दुर्घटना की घटना को ही ले लीजिए, क्या किसी को इस भीषण दुर्घटना का ज़रा सा भी अंदाज़ा था? अब इस दौरान हमारे मन में एक सवाल उठता है कि अगर बीमा पॉलिसी में पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा?

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विमान दुर्घटना के बाद कई मामले सामने आ रहे हैं

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद कई ऐसे मामले सामने आए, जहां पॉलिसी धारक और क्लेम पाने वाले नॉमिनी दोनों की ही दुर्घटना में मौत हो गई है। अहमदाबाद से लंदन गेटवे के लिए रवाना हुआ एयर इंडिया का बोइंग ड्रीमलाइनर विमान मेघानी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें चालक दल के सदस्यों समेत 241 यात्रियों की मौत हो गई।

इसके अलावा दुर्घटना स्थल पर मौजूद 34 लोगों की भी जान चली गई। ऐसे हालात में दुख झेल रहे परिजनों को भी यह सोचना पड़ रहा है कि आगे क्या होगा, बीमा में मिले पैसे का क्लेम कैसे किया जाएगा? आइए इस खबर के जरिए आपको बताते हैं कि अगर पॉलिसी धारक और नॉमिनी दोनों की ही मौत हो जाती है, तो बीमा का पैसा किसे मिलेगा?

क्या बीमा पॉलिसी जब्त हो जाती है?

सबसे पहले आपको बता दें कि बीमा राशि कभी जब्त नहीं होती, बल्कि पॉलिसीधारक की संपत्ति का हिस्सा बन जाती है। आमतौर पर, कानूनी उत्तराधिकारी जैसे बच्चे, जीवित माता-पिता या पति/पत्नी इसका दावा कर सकते हैं। एयर इंडिया दुर्घटना के बाद कई बीमा कंपनियों को ऐसे ही मामलों का सामना करना पड़ रहा है। एलआईसी, इफ्को टोकियो, टाटा एआईजी जैसी कई बीमा कंपनियों को ऐसे दावे मिले हैं, जिनमें पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो गई है।

क्लेम का पैसा किसे मिलता है?

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ कंपनियां दावों के त्वरित निपटान के लिए औपचारिकताओं में ढील दे रही हैं, जैसे कि एलआईसी ने कहा कि इन मामलों में, वे अदालत के आदेश का इंतजार करने के बजाय कानूनी उत्तराधिकारियों से घोषणा और क्षतिपूर्ति बांड स्वीकार कर रहे हैं, बशर्ते कि उत्तराधिकारी इस बात पर सहमत हों कि दावे के निपटान से प्राप्त राशि को कैसे विभाजित किया जाए। आमतौर पर, बीमा कंपनियां दस्तावेजों की जांच करने और पॉलिसी धारक या नामित व्यक्ति के साथ दावा करने वाले व्यक्ति के संबंध की पुष्टि करने के बाद पैसे का भुगतान करती हैं।

अब दूसरा सवाल यह है कि अगर कई कानूनी उत्तराधिकारी हैं, तो इस स्थिति में कंपनी क्या करती है? हिंदू उत्तराधिकार कानून में कानूनी उत्तराधिकारियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में, क्लास वन कानूनी उत्तराधिकारी जैसे बेटा-बेटी, पत्नी, मां हैं। यदि क्लास वन कानूनी उत्तराधिकारियों में कोई नहीं है, तो क्लास 2 पर विचार किया जाता है, जिसमें पिता, भाई-बहन, भतीजा-भतीजी शामिल हैं।

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