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PM मोदी के अधिकारी ने किया बड़ा खुलासा, अब किसको मुंह दिखाएंगे एलएंडटी के चेयरमैन सुब्रमण्यम ?

भारत में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस चल रही है। एक तरफ इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारत के युवाओं के सप्ताह में 70 घंटे काम करने की बात कही थी, वहीं एलएंडटी के चेयरमैन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने का बयान दिया था। ऐसे ही में PM मोदी के अधिकारी ने किया बड़ा खुलासा।

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  • Last Updated: January 25, 2025 18:20:20 IST

नई दिल्ली : भारत में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस चल रही है। एक तरफ इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारत के युवाओं के सप्ताह में 70 घंटे काम करने की बात कही थी, वहीं एलएंडटी के चेयरमैन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने का बयान दिया था। इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि ने एक शोध पत्र जारी किया, जिसमें बताया गया है कि भारत में लोग वास्तव में कितना काम करते हैं।

एक विश्लेषण तैयार किया

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि अपने विश्लेषण का शीर्षक Time Spent on Employment-Related Activities in India, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा 2019 में इस्तेमाल किए गए डेटा पर आधारित है।

भारतीय कितना काम करते हैं?

भारत में वेतनभोगी कर्मचारी औसतन हर दिन 422 मिनट और सप्ताह में लगभग 42 घंटे काम करते हैं। शहर में लोग 469 मिनट (7.8 घंटे) काम करते हैं, वहीं गांव में लोग औसतन 399 मिनट (6.65 घंटे) काम करते हैं। इसी तरह, सरकारी कर्मचारी निजी या सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के कर्मचारियों की तुलना में प्रतिदिन 45 मिनट कम काम करते हैं। जबकि शहरों में सरकारी कर्मचारी गांवों में सरकारी कर्मचारियों की तुलना में प्रतिदिन एक घंटा अधिक काम करते हैं।

विभिन्न राज्यों में कार्य संस्कृति

दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेश प्रतिदिन 600 मिनट से अधिक काम करते हैं, जबकि गोवा और पूर्वोत्तर राज्य औसतन 360 मिनट से भी कम काम करते हैं। दिल्ली में लोग 8.3 घंटे काम करते हैं, जबकि गोवा में कर्मचारी केवल 5.5 घंटे काम करते हैं।

पुरुषों और महिलाओं के कार्य घंटों में अंतर

शहरों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रतिदिन दो घंटे कम काम करती हैं, जबकि गांवों में महिलाएं इस मामले में पुरुषों से 1.8 घंटे पीछे हैं। अनुसूचित जनजाति अन्य समूहों की तुलना में कम घंटे काम करती है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) राष्ट्रीय औसत के बराबर है।

कार्य घंटों का प्रभाव

डॉ. रवि के विश्लेषण से पता चलता है कि कार्य घंटों में 1% की वृद्धि से प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) में 1.7% की वृद्धि होती है। बड़े राज्यों में, कार्य घंटों में 1% की वृद्धि से एनएसडीपी में 3.7% की वृद्धि हुई है।

कौन सा राज्य आगे है?

इस समय गुजरात में सबसे ज़्यादा (7.21%) लोग हफ़्ते में 70 घंटे से ज़्यादा काम करते हैं, जबकि बिहार में यह अनुपात सिर्फ़ 1.05% है।

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