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निजीकरण : बिक गई सबसे बड़ी सरकारी कंपनी, अब रतन टाटा के हाथों में पावर

नई दिल्ली: सबसे बड़ी सरकारी कंपनी अब निजी हाथों में सौंप दी गई है. इस बार सरकारी कंपनी की कमान भारत के सबसे बड़े बिज़नेस टाइकून रतन टाटा के हाथों में गई है. बता दें, सरकारी कंपनी भारी घाटे में चल रही है और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से ही बंद है. आइये जानते […]

Ratan tata
inkhbar News
  • Last Updated: June 26, 2022 22:03:00 IST

नई दिल्ली: सबसे बड़ी सरकारी कंपनी अब निजी हाथों में सौंप दी गई है. इस बार सरकारी कंपनी की कमान भारत के सबसे बड़े बिज़नेस टाइकून रतन टाटा के हाथों में गई है. बता दें, सरकारी कंपनी भारी घाटे में चल रही है और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से ही बंद है. आइये जानते हैं क्या है अपडेट.

निजीकरण के खिलाफ विरोध के बावजूद सरकार ने एक और बड़ी कंपनी को रतन टाटा के हाथों में सौंप दिया है. जहां इस सरकार कंपनी को किसी और ने नहीं बल्कि रतन टाटा ने खरीदा है. बता दें कि कंपनी यह सरकारी कंपनी घाटे में चली रही थी और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से ही बंद है.

ये है वो सरकारी कंपनी

दरअसल, ओडिशा स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड को टाटा ग्रुप की एक फर्म को दिया जा रहा है, इसकी पूरी प्रक्रिया जुलाई के मध्य तक तय होने की संभावना है. एक अधिकारी का कहना है कि टाटा स्टील की यूनिट टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स ने इस साल जनवरी में 12,100 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर एनआईएनएल में 93.71 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की बोली जीती थी. कंपनी ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड के एक गठजोड़ को पीछे छोड़ते हुए यह सफलता हासिल किया था. अब जल्दी ही रतन टाटा फर्म इसका कमान संभालेगी.

अंतिम चरण का प्रोसेस

एक अधिकारी का कहना है कि लेनदेन अंतिम चरण में है और अगले महीने के मध्य तक साइन हो जाना चाहिए, क्योकि सरकार की कंपनी में किसी का हिस्सा नहीं है, इसलिए बिक्री होने पर आय राजकोष में जमा नहीं होगी। इसके बजाय यह आय चार सीपीएसई और ओडिशा सरकार के दो पीएसयू में जाएगी.

कर्ज से लदी है कंपनी

जानकारी के अनुसार नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का कलिंगनगर, ओडिशा में 1.1 मीर्ट‍िक टन क्षमता वाला एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है, अर्थात् यह सरकारी कंपनी भी भारी घाटे में चल रही है. यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से ही बंद है। कंपनी पर 31 मार्च 2021 तक 6,600 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, इसमें प्रमोटरों का 4,116 करोड़, बैंकों का 1,741 करोड़ अन्य लेनदारों और कर्मचारियों का मोटा बकाया शामिल है।

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