Credit Card Spends May 2025: भारत में अचानक क्रेडिट कार्ड यूजर्स की बाढ़ आ गई है। जेब में पैसा न होने पर कार्ड से शॉपिंग करना इस दौर का सबसे बड़ा फैशन बन गया है। इसका असर मई 2025 में सबसे बड़े स्तर पर देखने को मिला। बता दें कि RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई में क्रेडिट कार्ड से खर्च 1.9 लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंचा। बता दें कि यह अप्रैल महीने से 3% और पिछले साल मई के महीने से 15% ज्यादा है। पिछले साल की बात करें तो उस वक्त क्रेडिट कार्ड से खर्च में सालाना 17% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसी चीजें जिनपर सबसे ज्यादा खर्च किया किया जा रहा है?

कैसे बढ़ गया इतना खर्च?

गर्मियों की छुट्टियों ने क्रेडिट कार्ड खर्च बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई। लोग घूमने-फिरने और छुट्टियां मनाने के लिए जमकर खर्च कर रहे हैं। आईडीबीआई कैपिटल के विश्लेषक बंटी चंद ने कहा, “हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 में क्रेडिट कार्ड खर्च स्थिर रहेगा, क्योंकि उपभोक्ता मांग मजबूत बनी हुई है। नए कार्ड की संख्या में भी सुधार होगा, लेकिन बैंक अब अधिक सतर्क हो रहे हैं। वे क्रेडिट गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और नए ग्राहकों को आक्रामक तरीके से जोड़ने के बजाय मौजूदा ग्राहकों को क्रॉस-सेलिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”

किस बैंक की लगी लॉटरी?

क्रेडिट कार्ड खर्च के मामले में एसबीआई कार्ड सबसे आगे रहा, जहां अप्रैल के मुकाबले खर्च में 10% की वृद्धि हुई। उसके बाद आरबीएल बैंक ने 9% और एक्सिस बैंक ने 6% की वृद्धि दिखाई, जबकि एचडीएफसी बैंक के खर्च में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। हालांकि, नए क्रेडिट कार्ड जारी करने के मामले में एचडीएफसी बैंक सबसे आगे रहा, जिसने 2.74 लाख नए कार्ड जारी किए। इसके बाद एसबीआई कार्ड ने 1.26 लाख और एक्सिस बैंक ने 1 लाख से अधिक नए कार्ड जोड़े। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने भी 75,000 नए कार्ड जारी करके अच्छा प्रदर्शन किया।

दूसरी ओर, कुछ बैंकों को झटका भी लगा। आईसीआईसीआई बैंक के कार्ड बेस में 31,000 से अधिक की कमी आई, जबकि आरबीएल बैंक ने 40,000 से अधिक कार्ड खो दिए। इंडसइंड बैंक ने केवल 8,000 नए कार्ड जोड़े, जिससे साफ पता चलता है कि वह सतर्क रुख अपना रहा है।

सतर्कता बरत रहे हैं बैंक

बैंकों की नई रणनीति अब पहले की तरह आक्रामक नहीं है, बल्कि वे अब अधिक सतर्कता और समझदारी से कदम उठा रहे हैं। गेफियोन कैपिटल के पार्टनर प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि पहले कई बड़े और मध्यम बैंक उच्च आय वाले ग्राहकों को ऐड-ऑन कार्ड देकर तेजी से अपनी पहुंच बढ़ा रहे थे। लेकिन जब बात मध्यम आय वर्ग की आई तो यह रणनीति उतनी सफल नहीं रही। अब बैंक नए ग्राहक जोड़ने से पहले अधिक सोच रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च आय वाले ग्राहकों का बाजार अब लगभग भर चुका है।

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बैंक अब मध्यम वर्ग तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वहां जोखिम अधिक है। इस कारण बैंक अब मौजूदा ग्राहकों को अधिक सेवाएं और उत्पाद प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और क्रेडिट गुणवत्ता यानी ग्राहकों की भुगतान क्षमता को लेकर अधिक सतर्क हो गए हैं।

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