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तीन सिपाहियों ने अपनी ही महिला एसपी को पहले घसीटा, फिर जान से मारने के लिए दे दिया धक्का!

यूपी के बरेली कैंट थाना क्षेत्र में एक ऐसी घटना घटी जिसमें न सिर्फ खाकी दागदार हुई बल्कि अफसरों का अधीनस्थों से विश्वास उठ गया. अवैध वसूली की शिकायत पर जांच करने पहुंचीं एसपी कल्पना सक्सेना को उन्हीं के सिपाहियों ने कार चढ़ाने की कोशिश की, उन्हें 200 मीटर तक घसीटा और उससे भी जी नहीं भरा तो मारने के लिए धक्का दे दिया. अब कोर्ट ने तीन सिपाहियों और एक अन्य को दोषी करार दिया है.

Bareilly Court convicted constables
inkhbar News
  • Last Updated: February 22, 2025 17:27:38 IST

बरेली. यूपी के बरेली कैंट थाना क्षेत्र में एक ऐसी घटना घटी जिसमें न सिर्फ खाकी दागदार हुई बल्कि अफसरों का अधीनस्थों से विश्वास उठ गया. इस घटना ने पूरे पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया था और पूरे सूबे में चर्चा होने लगी थी कि आखिरकार किस पर विश्वास करें. 15 साल बाद इस मामले में फैसला आया है जिसमें तीन पुलिसकर्मियों समेत चार को दोषी करार दिया गया है. सजा पर फैसला 24 फरवरी को आएगा

 एसपी पर कार चढ़ाने की हुई कोशिश

घटना 2010 की है, कैंट थाना क्षेत्र के बरेली-शाहजहांपुर रोड स्थित मजार के पास एसपी यातायात ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे  पुलिसकर्मियों को पकड़ने पहुंची थीं. अवैध वसूली को लेकर एसपी कल्पना सक्सेना को शिकायत मिली थी. मौके पर सिपाही अवैध वूसली करते पाये गये. पकड़े गये तीन सिपाहियों रविंद्र, रावेंद्र, मनोज और एक अन्य शख्स धर्मेंद्र ने एसपी कल्पना सक्सेना पर कार चढ़ाने की कोशिश की, उन्हें 200 मीटर तक घसीटा और उससे भी जी नहीं भरा तो मारने के लिए धक्का दे दिया. अब कोर्ट ने तीन सिपाहियों और एक अन्य को दोषी करार दिया है. 24 फरवरी को बहस के बाद उन्हें सजा सुनाई जाएगी.

बरेली वसूली कांड में 15 साल बाद न्याय

उस समय यह घटना सुर्खियां बनी थी. पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना की, आरोपपत्र दाखिल किया. कोर्ट में 14 गवाह और 22 साक्ष्य पेश किए गये. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने चारों को दोषी करार दिया है जिसमें 3 सिपाही और एक अन्य शामिल हैं. आईपीएस कल्पना सक्सेना बरेली में एसपी यातायात पद पर तैनात थी. वर्तमान में वह गाजियाबद में एडिशनल पुलिस कमिश्नर हैं. उनकी ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, 2 सितंबर 2010 को वह अपने चालक सिपाही संजय सिंह, हमराह सिपाही ऋषिपाल व जीत सिंह के संग चौकी चौराहे पर ड्यूटी पर थीं. इसी दौरान उन्हें कैंट क्षेत्र में मजार के पास हाईवे पर यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा ट्रक से अवैध वसूली की सूचना मिली.

एसपी ने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

सूचना पाकर वह मौके पर पहुंची, वहां फरीदपुर की तरफ से आने वाले कुछ ट्रक खड़े थे. सड़क के दूसरी ओर मजार के पास कार खड़ी थी. कार में कुछ लोग बैठे थे और कुछ खड़े थे. बकौल तत्कालीन एसपी अपना वाहन मजार से पहले ट्रकों की आड़ में खड़ा कर दिया. इसके बाद वह हमराह व चालक के साथ पैदल ही चल पड़ीं. पास जाकर देखा तो कांस्टेबल मनोज चालक की सीट पर बैठा था. पास खड़ा दूसरा व्यक्ति रुपये ले रहा था. वहां की स्थिति देखकर अंदाजा लग गया कि जो शिकायत मिली है वह सही है. जब शक यकीन में बदल गया तो आरोपी पुलिसकर्मियों को पकड़ने के लिए वह हमराह के साथ कार के सामने पहुंच गईं। कार की पिछली सीट पर कांस्टेबल रविंद्र और रावेंद्र बैठे थे.

एसपी को कुछलने की कोशिश

एसपी को देखकर वहां भगदड़ मच गई, कल्पना सक्सेना ने आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की तो मनोज ने कार स्टार्ट कर उनको कुचलने की कोशिश की, पर वह बच गईं. एसपी ने चलती कार में ही कांस्टेबल मनोज की गर्दन पकड़ ली. कार रोकने के लिए कहा लेकिन आरोपियों की नीयत कुछ और ही थी. पीछे बैठे सिपाही रविंद्र ने एसपी के हाथों को पकड़ लिया. उनके सिर पर वार करने लगा और कहा कि इसको कुचलकर मार दो. आरोपियों ने उन्हें 200 मीटर तक घसीटा, कई बार कार को टेढ़ा मेढ़ा चलाकर कुचलने की कोशिश की. वो बोल रहे थे आज तेरा आखिरी दिन है. अब जो दूसरा आएगा, उसकी दखल देने की हिम्मत नहीं होगी. जब वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हुए तो उनको धक्का देकर भाग गये.

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