Inkhabar
  • होम
  • चुनाव
  • केजरीवाल पर दबाव डाल रहे हैं शराब माफिया! पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का बड़ा दावा

केजरीवाल पर दबाव डाल रहे हैं शराब माफिया! पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का बड़ा दावा

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अन्ना आंदोलन से बनी आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल इस वक्त शराब के दलदल में धंस चुके हैं। केजरीवाल दिल्ली को....

Ravi Shankar Prasad-Arvind Kejriwal
inkhbar News
  • Last Updated: January 16, 2025 22:36:33 IST

नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी वार-पलटवार जारी है। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल पर दिल्ली के शराब माफियाओं का भारी दबाव है। शराब माफिया नई शराब नीति को वापस लाने को लेकर केजरीवाल पर दबाव डाल रहे हैं।

शराब के दलदल में धंसे केजरीवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अन्ना आंदोलन से बनी आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल इस वक्त शराब के दलदल में धंस चुके हैं। केजरीवाल दिल्ली को शराब खाना बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नैतिकता की बात करने वाले केजरीवाल ऐसे भ्रष्ट नेता बन जाएंगे ये किसी ने सोचा तक नहीं था।

पांच फरवरी को होगी वोटिंग

दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को मतदान होगा। 8 फरवरी को रिजल्ट की घोषणा की जाएगी। दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी को ख़त्म होने वाला है। 2020 विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा 6 जनवरी को हुई थी। सभी 70 सीटों पर एक चरण में 8 फरवरी 2020 को वोटिंग हुई थी और नतीजों की घोषणा 11 फरवरी को हुई थी।

2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं भाजपा सिर्फ 8 सीटें जीतने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी ने 53.57% वोट शेयर हासिल किया था। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।

1.55 करोड़ वोटर्स डालेंगे वोट

चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख वोटर्स हैं। इसमें 83 लाख से ज्यादा पुरुष मतदाता और 79 लाख महिला वोटर्स हैं। 830 ऐसे वोटर्स हैं, जिनकी उम्र 100 से अधिक है। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 0.8 लाख है। 33 हजार 330 पोलिंग स्टेशन बनाये जाएंगे।

यह भी पढ़ें-

हार का डर या कुछ और.. चुनाव के बीच में AAP ने क्यों बदले दो प्रत्याशी?