नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। AAP, बीजेपी और कांग्रेस समेत चुनाव लड़ रहे सभी दलों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। इस बीच सभी दल दिल्ली के झुग्गीवालों को रिझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच आइए आपको बताते हैं कि दिल्ली की सियासत में झुग्गी के लोगों की क्या अहमियत है और क्यों सभी दल झुग्गावालों को रिझाने में जुटे हुए हैं…
बता दें कि दिल्ली में 675 झुग्गी बस्तियां हैं। इन बस्तियों में करीब 30 लाख लोग रहते हैं। झुग्गी में रहने वाले 15 लाख लोग अभी वोट डाल सकते हैं, जिनका प्रभाव करीब 20 विधानसभा सीटों पर है।
दिल्ली के झुग्गीवालों का जिन विधानसभा सीटों पर असर है, उनमें आदर्श नगर, नरेला, मॉडल टाउन, वजीरपुर, संगम विहार, राजेंद्र नगर, तुगलकाबाद, बदरपुर, सीमापुरी, अंबेडकर नगर, कोंडली, त्रिलोकपुरी, मादीपुर, मोती नगर, ओखला, मटियाला, शालीमार बाग और किरारी की सीट शामिल है।
दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लोगों को आम आदमी पार्टी का वोटर माना जाता है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP को झुग्गीवालों का एकतरफा समर्थन मिला था। 2015 के चुनाव में जहां 66 फीसदी झुग्गी वोटर्स ने AAP को वोट दिया था। वहीं, 2020 के चुनाव में 61 फीसदी झुग्गी वोटर्स का समर्थन आम आदमी पार्टी को मिला था।
दिल्ली के झुग्गीवाले इस बार किस दल को समर्थन देंगे इसका दावा कर पाना मुश्किल है, लेकिन झुग्गी वोटर्स में अरविंद केजरीवाल और AAP की लोकप्रियता 10 साल बाद भी दूसरे दलों से काफी ज्यादा दिखाई दे रही है। हालांकि राजनीति जानकार बताते हैं कि इस बार आम आदमी से झुग्गी वोटर्स की थोड़ी-बहुत नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है।
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