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सीट बदली फिर भी सिसोदिया की जीत मुश्किल, जंगपुरा में इस कांग्रेसी के आगे टिक नहीं पाएंगे!

आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के बाद सबसे बड़ा चेहरा मनीष सिसोदिया का माना जाता है। अपने दूसरे नंबर के नेता को केजरीवाल ने पटपड़गंज के बदले जंगपुरा विधानसभा सीट से क्यों उतारा इसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।

Manish Sisodia
inkhbar News
  • Last Updated: December 10, 2024 11:20:03 IST

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी ने अब तक 31 सीटों पर अपने प्रत्याशिओं के नाम का ऐलान कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चे में है मनीष सिसोदिया की सीट। मनीष जिस सीट से तीन बार से विधायक चुने गए हैं, उस पटपड़गंज सीट पर अवध ओझा को प्रत्याशी बनाया गया है। मनीष को इस बार जंगपुरा सीट से मैदान में उतारा गया है। आइये इस सीट पर हवा का रुख किसके तरफ बताया जा रहा-

जंगपुरा से क्यों उतरे सिसोदिया

आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के बाद सबसे बड़ा चेहरा मनीष सिसोदिया का माना जाता है। अपने दूसरे नंबर के नेता को केजरीवाल ने पटपड़गंज के बदले जंगपुरा विधानसभा सीट से क्यों उतारा इसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। 2013, 2015 और 2020 में इस सीट से चुने गए मनीष सिसोदिया को पिछ्ला चुनाव जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। मनीष चुनाव हार न जाए इस डर से उन्हें जंगपुरा से उतारा गया लेकिन वहां भी राह आसान नहीं है।

कांग्रेस-बीजेपी बिगाड़ेगी खेल

जंगपुरा विधानसभा सीट में निजामुद्दीन बस्ती और दरियागंज जैसे मुस्लिम बहुल आते हैं। साथ ही भोगल और महारानी बाग जैसे सिख बहुल क्षेत्र भी हैं। सराय काले खां और किलोकरी जैसे मुस्लिम बहुल गांव हैं। आम आदमी पार्टी को लगा कि यहां से जीतना मनीष सिसोदिया के लिए आसान रहेगा। कांग्रेस इस सीट से 4 बार जीत चुकी है। कहा जा रहा है कि जंगपुरा में कांग्रेस फरहद सूरी को टिकट दे सकती है। बीजेपी तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट देगी। मारवाह पहले कांग्रेस में थे और उनके बेटे नगर निगम सदस्य हैं।

सिसोदिया का सीट निकलना मुश्किल

फरहद सूरी और मारवाह दोनों की यहां पर अच्छी पकड़ है। फरहद दिल्ली के मेयर भी रहे हैं और मुश्किल समय में भी उन्होंने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा था। फरहद अपना पिछला दिल्ली नगर निगम चुनाव इस सीट से 200 -250 वोट के अंतर से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से हार गए थे। ताजदार बाबर जो कि फरहद सूरी की मां हैं वो भी कांग्रेस से 4 बार एमएलए रहीं हैं। उनकी भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। दिल्ली दंगे के दौरान मनीष सिसोदिया के बयान से निजामउद्दीन के बहुत सारे लोग भड़के हुए हैं। ऐसे में फरहद और मारवाह को पीछे छोड़कर मनीष सिसोदिया के लिए यह सीट निकालना बहुत मुश्किल होने वाला है।

 

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