Maharashtra News: महाराष्ट्र की राजनीति अक्सर उथल पुथल मची रहती है। इसी परंपरा का निर्वहन होता एक बार फिर दिख रहा है। यानि कि यहां एक बार फिर बड़ा उलटफेर हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की नींद उड़ गई है। इस खेल के पीछे बीजेपी का हाथ माना जा रहा है। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को उस समय बड़ा झटका लगा है, जब दोनों नेताओं के विलय की चर्चा जोरों पर है।
मिड-डे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को नासिक में हुई एक घटना ने दोनों पार्टियों को बड़ा झटका दिया है। जहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कई वरिष्ठ नेता अचानक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए हैं। यानी बीजेपी ने यह खेल उस समय खेला, जब दोनों भाइयों के बीच सुलह की कई खबरें आ रही थीं। भाजपा के इस कदम से न केवल दोनों भाइयों के बीच एकता की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, बल्कि राज्य की राजनीतिक बिसात पर चतुराई से दांव खेलकर विपक्षी खेमे को कमजोर करने की भाजपा की रणनीति को भी बल मिला है।
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ पूर्व विधायक बबनराव घोलप और नासिक के पूर्व उपनेता सुधाकर बड़गुजर मंगलवार को नासिक में औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा मनसे प्रमुख राज ठाकरे के करीबी और नासिक के पूर्व मेयर अशोक मुर्तदक भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। बड़गुजर का भाजपा में शामिल होना तब से विवादास्पद है, जब स्थानीय भाजपा विधायक सीमा हिरे ने आपराधिक मामलों के आधार पर उनकी नियुक्ति का विरोध किया था। घोलप ने पार्टी छोड़ने का कारण शिवसेना (यूबीटी) में उनके साथ कथित दुर्व्यवहार बताया, जबकि मुर्तदक ने कहा कि वह नासिक के विकास, खासकर 2027 के नासिक कुंभ के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं।
इससे पहले जून में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बड़गुजर की मुलाकात ने विवाद खड़ा कर दिया था। इसे ‘बौद्धिक विरोधी गतिविधि’ मानते हुए उद्धव ठाकरे ने बड़गुजर को पार्टी से निकाल दिया था। इस बीच, उद्धव और राज ठाकरे ने मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के कल्याण के लिए साथ आने के संकेत दिए थे, लेकिन भाजपा ने इन नेताओं को अपने पक्ष में खींचने का मौका भुनाया। इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने नासिक के कुछ पूर्व पार्षदों को भी अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है, जो शिवसेना (यूबीटी) से थे।
दोनों भाइयों को नुकसान?
पिछले कुछ हफ्तों से राज और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन की संभावना पर काफी चर्चा हो रही थी। दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हितों को लेकर एकता की बात कही थी, जिसे राज्य में आगामी निकाय चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मोड़ माना जा रहा है। राज ठाकरे ने हाल ही में बीएमसी जैसे महत्वपूर्ण निकायों पर कब्जा करने की रणनीति पर उद्धव के साथ चर्चा के संकेत दिए थे, जबकि उद्धव ने मराठी वोटों को एकजुट करने का रास्ता भी खोला था। लेकिन इस बीच भाजपा ने बाजी पलट दी। केवल समय ही बताएगा कि इसका क्या प्रभाव होगा।