नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के तमाम एग्जिट पोल्स इस बार भाजपा सरकार बनने का दावा कर रही है। इस वजह से ऐसी सीटों पर भी सुबुगाहट हो रही है, जहां लगभग 50 फीसदी मुस्लिम आबादी है। इन्हीं में से एक है ओखला सीट। इस सीट पर पार्टी को नहीं उम्मीदवार को चुना जाता है, वो भी मुस्लिम कैंडिडेट को। आइये जानते हैं इस बार ओखला में कैसे समीकरण बन रहे हैं?
ओखला यमुना नदी के किनारे दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में स्थित है। 1993 में दिल्ली में पुनर्गठन के बाद इस सीट पर पहली बार इलेक्शन हुआ। जनता दल के टिकट पर परवेज हाशमी ने जीत हासिल की। मौजूदा वक़्त में यह सीट आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान के कब्जे में है। यहां पांच वॉर्ड है, जिसमें अबुल फजल एनक्लेव, जाकिर नगर , मदनपुर खादर पूर्व, मदनपुर खादर पश्चिम, सरिता विहार है। यहां पर मुस्लिम आबादी ज्यादा है। बाटला हाउस, अबुल फजल एनक्लेव, जाकिर नगर, जोगाबाई, हाजी कॉलोनी, ओखला विहार, शाहीन बाग , नूर नगर, गफ्फार मंजिल जैसे इलाकों में मुसलमानों का वर्चस्व है।
मुस्लिमों के गढ़ में मुश्किल से भाजपा समर्थक मिलते हैं लेकिन सरिता विहार, मदनपुर खादर और जसोला में हिंदू मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। इस बार इस सीट पर कांग्रेस-आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बताया जा रहा है। हालांकि एक पार्टी को लोग भूल रहे हैं, वो है भाजपा। भाजपा ने यहां से मनीष चौधरी को उतारा है। कांग्रेस-आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के मुस्लिम कैंडिडेट होने के कारण वोटों का बंटवारा हुआ है। इससे कहा जा रहा है कि भाजपा के मनीष चौधरी को फायदा मिल सकता है। 2022 के एमसीडी चुनावों में ओखला विधानसभा क्षेत्र के पांच वॉर्डों में 2 पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और 1 पर आप को जीत मिली थी।
2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के ब्रह्म सिंह को यहां से 58,540 वोट मिले थे, जो कि ओखला में भाजपा का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। 2015 में ब्रह्म सिंह को 39,739 वोट मिले थे। इस बार मनीष चौधरी ने भाजपा को उम्मीदें हैं। मनीष चौधरी साल 2020 से पहले कांग्रेस में थे।