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Birthday Special: ‘गज़ल किंग’ जगजीत सिंह के अधूरे प्यार की दिलचस्प कहानी

हिंदी सिनेमा में जगजीत सिंह एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किए जाते हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरत आवाज और गजल गायकी से चार दशक तक लोगों के दिल पर राज किया. क्या आपको पता है दुनिया को अपनी आवाज का दिवाना बनने वाले जगजीत का पहला प्यार अधूरा रह गया था.

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  • Last Updated: February 8, 2017 02:51:19 IST
मुंबई: हिंदी सिनेमा में जगजीत सिंह एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किए जाते हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरत आवाज और गजल गायकी से चार दशक तक लोगों के दिल पर राज किया. क्या आपको पता है दुनिया को अपनी आवाज का दिवाना बनने वाले जगजीत का पहला प्यार अधूरा रह गया था. 
 
जगजीत सिंह आज भले ही हमारे बीच मौजूद नहीं हों लेकिन उनकी मखमली आवाज का जादू आज भी जिंदा है. गजल पसंद करने वाला शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसने जगजीत सिंह की गजलों को ना सुना हो. 
 
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था. जगजीत जी के पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे. मां बच्चन कौर पंजाब के ही समरल्ला के उट्टालन गांव की रहने वाली थीं.
 
 
जगजीत के बचपन का नाम जीत था. जीत की शुरूआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और उसके बाद पढ़ाई के लिए जालंधर आ गए.
 
उसके बाद डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया.
 
जगजीत सिंह ने गुरुद्वारे में पंडित छगनलाल मिश्रा और उस्ताद जमाल खान से क्लासिकल संगीत की शिक्षा ली. मार्च 1965 में जगजीत सिंह अपने परिवार को बिना बताए मुंबई चले आए और स्ट्रगल शुरू कर दिया.
 
 
बहुतों की तरह जगजीत जी का पहला प्यार भी परवान नहीं चढ़ सका. अपने उन दिनों की याद करते हुए वे कहते हैं, ‘एक लड़की को चाहा था, जालंधर में पढ़ाई के दौरान साइकिल पर ही आना-जाना होता था. लड़की के घर के सामने साइकिल की चैन टूटने या हवा निकालने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे.
 
साल 1965 में जगजीत सिंह मुंबई पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाक़ात उस समय उभर रही गायिका चित्रा सिंह से हुई थी. चित्रा सिंह बताती हैं, ‘जब पहली बार मैंने जगजीत को अपनी बालकनी से देखा था तो वो इतनी टाइट पैंट पहने हुए थे कि उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी. वो मेरे पड़ोस में गाने के लिए आए थे.
 
पिता के इजाज़त के बग़ैर फ़िल्में देखना और टाकीज में गेट कीपर को घूंस देकर हॉल में घुसना आदत थी.
 
एल्बम के साथ-साथ जगजीत ने फिल्मों में भी कई गजलें गाईं, उनमें ‘प्रेम गीत’, ‘अर्थ’, ‘जिस्म’, ‘तुम बिन’, ‘जॉगर्स पार्क’ जैसी फिल्में हैं.
 
भारत सरकार की तरफ से जगजीत सिंह को साल 2003 में ‘पद्म भूषण’ सम्मान से नवाजा गया था.
 
गजल के बादशाह कहे जाने-वाले जगजीत सिंह का ब्रेन हैमरेज होने के कारण 10 अक्टूबर 2011 की सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया. 
 

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