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राज बब्बर और सलमा आगा की ‘निकाह’ से 1982 में देश में हो जाते लाखों तलाक !

बीआर चोपड़ा ने अगर एक बार अपनी फिल्म का टाइटल नहीं बदला होता तो देश में फिल्म रिलीज होते ही हो जाते लाखों तलाक. इसे मजाक में ना लें, ये वाकई में हुआ है. बीआर चोपड़ा को भी इस बात का अहसास बाद में हुआ और उन्होंने फौरन अपनी फिल्म का नाम बदल दिया.

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  • Last Updated: May 19, 2017 14:47:23 IST
मुंबई: बीआर चोपड़ा ने अगर एक बार अपनी फिल्म का टाइटल नहीं बदला होता तो देश में फिल्म रिलीज होते ही हो जाते लाखों तलाक. इसे मजाक में ना लें, ये वाकई में हुआ है. बीआर चोपड़ा को भी इस बात का अहसास बाद में हुआ और उन्होंने फौरन अपनी फिल्म का नाम बदल दिया.
 
बाद में जब नए टाइटल के साथ वो फिल्म रिलीज हुई तो सुपरहिट साबित हुई, उसके गाने आज भी लोगों को याद हैं. ये फिल्म मुस्लिम पृष्ठभूमि पर बनी थी. इन दिनों जब तीन तलाक का मुद्दा अपने आखिरी मुकाम पर आता दिख रहा है, ये दिलचस्प जानकारी सबके लिए हैरानी भरी होगी.
 
दिल के अरमां…. आपने सलमा आगा की ये सुपरहिट फिल्म देखी हो ना देखी हो लेकिन ये गाना जरूर सुना होगा. इस मूवी का नाम था ‘निकाह’, जिसे बीआर चोपड़ा ने बनाया था और इसमें प्रमुख भूमिका में सलमा आगा और दीपक पाराशर के साथ थे राज बब्बर.
 
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म का असल नाम निकाह था ही नहीं, ये तो एक बड़ी वजह से बीआर चोपड़ा ने बीच शूटिंग में इस फिल्म का नाम ही बदल दिया था. फिल्म का टाइटल रखा गया था ‘तलाक तलाक तलाक’. दरअसल तीन तलाक की इस प्रथा को लेकर ही बीआर चोपड़ा ने 1982 में ये मूवी बनाई थी. लेकिन तब उन्हें अंदाजा नहीं था कि उन्हें ये टाइटल बदलने को मजबूर होना पड़ेगा.
 
दरअसल हुआ यूं कि एक दिन बीआर चोपड़ा से उनका एक मुस्लिम दोस्त मिलने आया, तब चोपड़ा ने उसे अपनी फिल्म का टाइटल बताया. जिससे वो शख्स चौंका, बोला तुम तो गजब कर दोगे. जो भी शौहर फिल्म देखकर आएगा, वीबी पूछेगी कौन सी फिल्म देखकर आए हो, या किस फिल्म की टिकटें लेकर आए हो तो वो कहेगा तलाक, तलाक, तलाक और इस्लाम के हिसाब से तीन बार ये शब्द बोलते ही उनका तलाक हो जाएगा.
 
ऐसे तो लाखों का घर बर्बाद हो जाएगा. चोपड़ा को तब पहली बार अंदाजा हुआ कि ये क्या होने जा रहा है. उन्होंने फौरन इस टाइटल को बदलने का फैसला लिया, काफी डिसकशन के बाद फिल्म का नाम तलाक से बदलकर निकाह कर दिया गया. इस तरह बीआर चोपड़ा एक बड़ी मुसीबत में फंसने से बच गए.
 
इस फिल्म की कहानी भी पूरी तरह तीन तलाक पर ही थी, दीपक पाराशर और राज बब्बर दोनों सलमा आगा की मोहब्बत में गिरफ्तार थे, लेकिन सलमा दीपक को चुनती हैं और शादी कर लेती हैं. लेकिन दीपक सलमा को शादी के बाद काफी परेशान करता है और एक दिन गुस्से में उसे तीन बार तलाक तलाक तलाक बोल कर तलाक दे देता है.
 
इधर राज बब्बर एक मैगजीन का एडीटर बन जाता है और अब भी सलमा से प्यार करता है, सलमा उसके पास नौकरी मांगने आती है. सलमा को उसकी मोह्ब्बत के बारे में पता चलता है तो वो राज से शादी करने को तैयार हो जाती है, इधर दीपक को गलती का अहसास होता है तो वो इमाम के पास जाकर पूछता है.
 
इमाम उसे हलाला की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताता है कि कैसे सलमा किसी और शादी करके तलाक दे, तभी वो वापस उससे शादी कर सकता है. शादी के बाद राज बब्बर दीपक का प्यार देखकर सलमा को तलाक देने के लिए राजी भी हो जाता है, लेकिन सलमा विद्रोह कर देती और कहती है कि तुम लोगों ने क्या मुझे प्रॉपर्टी समझ रखा है कि जब चाहे शादी करो, जब चाहे तलाक दे दो.
 
सलमा राज को ही चुनती है. इस तरह बीआर चोपड़ा ने तीन तलाक और हलाल जैसी दोनों प्रथाओं पर अपनी इस फिल्म के जरिए जबरदस्त चोट की थी.

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