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नुसरत फतेह अली खान बर्थडे: पिता नहीं चाहते थे कि नुसरत फतेह अली खान कव्वाल बनें

आज मशहूर कव्वाल नुसरत फतह अली खान की जन्मतिथि है. वैसे तो गायक नुसरत साहब को ये दुनिया छोड़े सालों का वक्त बीत चुका है. लेकिन आज भी नुसरत साहब को तमाम विश्व में सुना जाता है. खास बात ये है कि कव्वाल शैली को आगे बढ़ाने का काम नुसरत साहब ने बखूबी किया है. तभी तो आज भी 'तेरे रश्के कमर' से लेकर 'आफरीन आफरीन' गाने तक के बोल लोगों के जबां से उतरते नहीं हैं.

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  • Last Updated: October 13, 2017 04:40:40 IST
नई दिल्ली. आज  मशहूर कव्वाल नुसरत फतह अली खान की जन्मतिथि है. वैसे तो गायक नुसरत साहब को ये दुनिया छोड़े सालों का वक्त बीत चुका है. लेकिन आज भी नुसरत साहब को तमाम विश्व में सुना जाता है. खास बात ये है कि कव्वाल शैली को आगे बढ़ाने का काम नुसरत साहब ने बखूबी किया है. तभी तो आज भी ‘तेरे रश्के कमर’ से लेकर ‘आफरीन आफरीन’ गाने तक के बोल लोगों के जबां से उतरते नहीं हैं. नुसरत साहब का ताल्लुक बेशक पाकिस्तान से हो लेकिन उनकी गायिकी के दीवानों की भारत में कमी नहीं है. सबसे खास बात ये है कि उस्ताद नुसरत फतेह अली खां को आज की पीड़ी भी सुनना पसंद करती है. 
 
पिता नहीं चाहते थे नुसरत साहब कव्वाल बनें
 
बताया जाता है कि नुसरत के पिता नहीं चाहते थे कि नुसरत एक कव्वाल बनें. इनके पिता उस्ताद फतह अली खां साहब खुद एक कव्वाल परिवार से थे. लेकिन वो नहीं चाहते थे कि उनका बेटा भी एक कव्वाल बने. लेकिन प्रतिभा कहां छुपती है, एक बार लंदन 1985 में वर्ल्ड ऑफ म्यूजिक आर्ट एंड डांस फेस्टिवल में नुसरत जब गाना गाया था, जो सभी उनकी प्रतिभा के कायल हो गए. इस दौरान जिसने भी उनकी आवाज सुनी उनके रोंगटे खड़े हो गए सभी नुसरत साहब की आवाज पर झुमने लगे. नुसरत साहब की आवाज में वो जादू है कि जिन्हें पंजाबी और उर्दू की जबान नहीं आती वो भी उनके गाए हुए गानों पर खूब थरकता है.
 
बॉलीवुड की जान रहे हैं नुसरत फतेह अली खां
 
नुसरत साहब के फैंस की कमी भारत में नहीं है. नुसरत साहब ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में गायिकी के संदर्भ में अहम योगदान दिया है. उन्होंने ‘मेरा पिया घर आया’, ‘पिया रे-पिया रे’,‘सानू एक पल चैन, ‘तेरे बिन’, ‘प्यार नहीं करना’, ‘साया भी जब साथ छोड़ जाये’, ‘सांसों की माला पे’ ‘अफरीन अफरीन’, जैसे अनेक गाने गाएं है. ये सभी खाने हिट रहे हैं. 
 
जब संगीत की दुनिया को अलविदा कह गए नुसरत साहब
 
पूरी दुनिया को शोक की कश्ती में डूबो कर नुसरत साहब इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. नुसरत साहब 16 अगस्त 1997 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. 
 
 
 

 

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