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विजय की तमिल फिल्म ‘मेरसल’ से जुड़े हैं ये पांचों विवाद

जीएसटी और डिजिटल इंडिया पर अपने डायलॉग्स को लेकर तमिल एक्टर विजय की फिल्म ‘मेरसल’ बीजेपी के निशाने पर आ गई है. बीजेपी फिल्म में उन डायलॉग्स को हटाने से कम पर राजी नहीं है. लेकिन ये अकेला विवाद नहीं है जो इस फिल्म से जुड़ा है

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  • Last Updated: October 21, 2017 11:12:01 IST
नई दिल्ली: जीएसटी और डिजिटल इंडिया पर अपने डायलॉग्स को लेकर तमिल एक्टर विजय की फिल्म ‘मेरसल’ बीजेपी के निशाने पर आ गई है. बीजेपी फिल्म में उन डायलॉग्स को हटाने से कम पर राजी नहीं है. लेकिन ये अकेला विवाद नहीं है जो इस फिल्म से जुड़ा है, ऐसे पांच विवाद हैं जिनके चलते फिल्म की पहले दिन की बॉक्स ऑफिस की कमाई इस साल बाहुबली के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गई है. जानिए वो सारे विवाद जिसके चलते ये फिल्म चर्चा में है—
 
1—फिल्म का टाइटिल जैसे ही चर्चा में आया, तमिल फिल्म इंडस्ट्री के एक और प्रोडयूसर ए राजेन्द्रन ने इस पर एक पिटीशन ही फाइल कर दी. उनका कहना था कि वो भी एक टाइटल ‘मेरसलियत्तेन’ टाइटल के सारे राइट्स खरीद चुके हैं, कोर्ट ने मेरसल टाइटिल के तहत कुछ भी मार्केटिंग करने से प्रोडयूसर्स पर अंतरिम रोक लगा दी, जो इसी महीने ही 6 अक्टूबर को मद्रास हाईकोर्ट से जाकर हटी है.
 
2—फिल्म की रिलीज से 24 घंटे पहले तक ये पता नहीं था कि शेड्यूल रिलीज डेट पर मेरसल रिलीज भी हो पाएगी कि नहीं, दरअसल सेंसर बोर्ड ने साफ कर दिया था कि अगर एनीमल वेलफेयर बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं लाया जाता, तब तक वो सेंसर सर्टिफेकिट नहीं देंगे. ऐसे में फिल्म रिलीज हो पाना नामुमकिन था. दरअसल फिल्म के कुछ सींस में जानवरों का भी इस्तेमाल हुआ है. फिल्म की रिलीज से ठीक एक दिन पहले ही उन्हें ये सर्टिफिकेट मिला, तब जाकर उन्होंने ये सेंसर बोर्ड में जाकर जमा किया. ऐसे ऐन वक्त तक प्रोडयूसर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स की जान हलक में ही अटकी रही.
 
3—एक विवाद ऐसा भी हुआ जिस पर लोगों को संदेह हैं कि वो क्यों हुआ? दरअसल मल्लेश्वरम के एक थिएटर  सैम्पेज में लोगों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया, जहां कि फिल्म रिलीज होनी है. वहां लगा विजय का कटआउट तोड़ दिया गया. ये विरोध एक प्रो-कन्नड़ संगठन ने किया, जिसे कन्नड़ के अलावा किसी भी भाषा में लिखना, बोलना पसंद नहीं. दिलचस्प बात थी कि पूरे कर्नाटक में केवल एक सिनेमा हॉल में ही ये विरोध हुआ और पता चला कि इस विरोध की अगुवाई कन्नड़ फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स प्रेसीडेंट कर रहे थे. फेसबुक पर इस तोड़फोड़ का वीडियो जारी होते ही, विजय के फैंस ने पूरे साउध में काफी विरोध जताया. फिल्म इससे भी चर्चा में आ गई.
 
4—चौथा ऐतराज तमिलनाड़ के डॉक्टर्स ने उठाया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए के तमिलनाडु चैप्टर का आरोप है कि इस फिल्म में ड़ॉक्टर्स की छवि काफी गलत दिखाई गई है, जिसका हम विरोध करते हैं. मीडिया और कोर्ट में जाने के बजाय उन्होंने नया तरीका अपनाया, यूट्यूब पर पड़ी फिल्म की क्लिप के लिंक को शेयर करना शुरू कर दिया. ताकि फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन ही देख लें, कोई हॉल में देखने ना जाए ताकि प्रोडयूसर्स का नुकसान हो.
 
5—पांचवा और सबसे ताजा विरोध तमिलनाडु की बीजेपी इकाई का है, जिसका मानना है फिल्म में जीएसटी और डिजिटल इंडिया को लेकर भ्रामक जानकारी देकर उनका मजाक उड़ा गया है. फिल्म के एक डायलॉग में बताया गया है कि ‘’28 परसेंट जीएसटी लेने के बावजूद सरकार सिंगापुर की तरह फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट भी नहीं दे पाती, जबकि वहां केवल 7 परसेंट जीएसटी लिया जाता है’’, जबकि बीजेपी का कहना है कि, ‘’सिंगापुर में हर व्यक्ति अपनी आमदनी से 8 से 10.50 परसेंट जीएसटी तो देता ही है, मेडिकल खर्चों पर भी उन्हें 7 परसेंट जीएसटी देनी पड़ती है. ऐसे में ये कहना कि मेडिकल उपचार सिंगापुर में फ्री है, बिलकुल गलत है’’. बीजेपी को मंदिर वाले डायलॉग पर भी ऐतराज है, जिसमें हीरो कहता है कि देश को मंदिरों से ज्यादा हॉस्पिटल्स की जरूरत है. बीजेपी ने डाटा जारी करते हुए बताया है कि पिछले 20 सालों में तमिलनाडु में 17,500 चर्च बनाए गए, 9700 मस्जिदें बनाई गईं और इनके मुकाबले मंदिर केवल 370 बने हैं, तो केवल मंदिर ही क्यों निशाने पर लिए गए? बीजेपी का कहना है कि पॉलटिकल मकसद से बनाई गई है फिल्म, इसलिए गलत फैक्ट्स और डाटा का सहारा लिया गया है.
 
 
 
 

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