नई दिल्ली: फिल्म इंडस्ट्री के बारे में कहा जाता है कि यह किसी की सगी नहीं है. कई बाहरी लोगों ने इंडस्ट्री में ग्रुपिज्म करते है. इनमें कई एक्टर्स ऐसे भी रहे हैं जो इस वजह से इंडस्ट्री से बाहर हो गए. कई एक्टर्स ने भी इस पर खुलकर बात की है. उन्हीं में से एक हैं अध्ययन सुमन, वह 37 साल के हो गए हैं. उनके पिता शेखर सुमन इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता थे. अपने करियर की शुरुआत में ही उन्होंने रेखा और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियों के साथ काम किया और शानदार माहौल बनाया. लेकिन धीरे-धीरे इंडस्ट्री ने उन्हें किनारे कर दिया. बिल्कुल ऐसा ही कुछ उनके बेटे अध्ययन सुमन के साथ भी देखने को मिला.
बता दें कि अध्ययन सुमन ने अपने करियर की शुरुआत साल 2008 में हाल-ए-दिल से की थी. इस फिल्म में उनकी एक्टिंग को काफी पसंद किया गया. इसके बाद उन्होंने राज़, जश्न, देहरादून डायरीज, हिम्मतवाला, इश्क क्लिक, चुप और हार्टलेस जैसी फिल्मों में काम किया. अगर आप उनके करियर ग्राफ पर नजर डालें तो पाएंगे कि कई मौकों पर उन्होंने 2-3 साल का गैप लेने के बाद वापसी की. ये अलग बात है कि उन्होंने इतने कम प्रोजेक्ट्स इसलिए किए क्योंकि उन्हें ज्यादा प्रोजेक्ट्स नहीं मिले. अध्ययन और उनके पिता शेखर दोनों ही कई इंटरव्यूज में इस बारे में खुलकर बात कर चुके हैं.
अध्ययन ने कबूल किया कि उनके पिता इंडस्ट्री में ग्रुपिज्म का शिकार थे. इसका असर उनके करियर पर भी पड़ा. उन्होंने बताया कि कैसे एक बार उन्हें एक फिल्म में साइन किया गया था. फिल्म के निर्माता ने उस निर्माता को बुलाया जिसने फिल्म को फायनेंसड किया था और उसे इसे बाहर निकालने के लिए कहा. उन्हें बिना किसी वजह के फिल्म से निकाल दिया गया और कहा गया कि उनके साथ काम करना मुश्किल है. अध्ययन ने बताया कि कुछ समूह ऐसे हैं जो केवल छवि खराब करने का काम करते हैं. अध्ययन का मानना था कि यह कभी खत्म नहीं होने वाला है. यदि आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको अपने अवसर स्वयं बनाने होंगे. हाल ही में अध्ययन सुमन ने वापसी की और संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी में नजर आए।
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