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‘2 पैग लेने में कोई बुराई नहीं’, धर्म को लेकर ये क्या बोल गए जावेद अख्तर? सरेआम कर दी शराब से तुलना, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

Javed Akhtar: मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर एक बार फिर अपने बेबाक बयान को लेकर चर्चा में हैं। अपनी नास्तिक सोच और खुले विचारों के लिए मशहूर जावेद अख्तर ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान धर्म और शराब के बीच चौंकाने वाली तुलना की है।

Javed Akhtar
inkhbar News
  • Last Updated: June 13, 2025 15:56:30 IST

Javed Akhtar: मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर एक बार फिर अपने बेबाक बयान को लेकर चर्चा में हैं। अपनी नास्तिक सोच और खुले विचारों के लिए मशहूर जावेद अख्तर ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान धर्म और शराब के बीच चौंकाने वाली तुलना की है। उन्होंने कहा कि जैसे शराब का सेवन सीमित मात्रा में फायदेमंद हो सकता है, वैसे ही धर्म भी तभी तक ठीक है जब तक वह सीमित और संयमित हो। लेकिन जैसे ही इसकी अति होती है, यह समाज और व्यक्ति दोनों के लिए हानिकारक बन जाता है।

शराब पीने के शौक़ीन रहे जावेद

जावेद अख्तर आज तक रेडियो के एक खास कार्यक्रम में बात कर रहे थे, जहां उन्होंने कहा, “दिन में दो पैग व्हिस्की वास्तव में फायदेमंद है। दिक्कत तब होती है जब लोग रुकते नहीं हैं। ठीक वैसे ही धर्म तब तक ठीक है जब तक वह सीमा में है।” उन्होंने आगे कहा कि दोनों में एक समानता यह है कि ज़्यादातर लोग दोनों के साथ संयम नहीं रख पाते और अति करने लगते हैं। जावेद अख्तर ने अपने पुराने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने भी जीवन में एक दौर ऐसा जिया है, जब शराब उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें व्हिस्की बहुत पसंद थी, लेकिन जब उन्होंने उसे छोड़ दिया तो उसे लेकर एलर्जी हो गई। इसके बाद उन्होंने बीयर पीना शुरू किया और एक ही बार में 18 बोतलें पी जाते थे। बाद में पेट फूलने लगा तो बीयर छोड़कर रम पीने लगे।

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शराब पीने के अनुभव बताये

अरबाज़ खान के एक टॉक शो में भी जावेद साहब ने अपने शराब पीने के अनुभव साझा किए थे। उन्होंने कहा था, “मैं इसलिए पीता था क्योंकि मुझे आनंद आता था। मैं दुख भुलाने के लिए नहीं पीता था। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मुझे लगा कि अगर मैं ऐसे ही पीता रहा, तो मेरी उम्र 52-53 साल से ज़्यादा नहीं होगी।” इसी सोच ने उन्हें शराब से दूर कर दिया। अपने इंटरव्यू में उन्होंने धर्म को लेकर भी गंभीर बातें कहीं। उनका कहना था कि शराब और धर्म दोनों में कुछ हद तक लाभ होता है, लेकिन जब इनका दुरुपयोग होता है तो ये घातक बन जाते हैं। उन्होंने दूध और शराब का उदाहरण देते हुए कहा, “अगर कोई दो गिलास दूध पीता है तो वह हानिकारक नहीं है, लेकिन व्हिस्की के दो गिलास से ज़्यादा लेने पर समस्या होती है। लोग दूध में अति नहीं करते, लेकिन शराब और धर्म में कर बैठते हैं।”

अमेरिकी सर्वे का किया जिक्र

उन्होंने अमेरिकी सर्वे का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग न तो शराब पीते हैं और न ही हर दिन पूरी बोतल पीते हैं, वे लंबे समय तक नहीं जीते। बल्कि वे लोग ज्यादा जीते हैं जो संयमित मात्रा में शराब का सेवन करते हैं। सद्गुरु के साथ अपनी बहस को याद करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि जो कुछ भी तर्क, प्रमाण, और विश्लेषण से रहित हो, वह सिर्फ ‘आस्था’ है। उन्होंने सवाल उठाया कि विश्वास और मूर्खता में आखिर फर्क क्या है? उन्होंने कहा, “मैं आस्था को स्वीकार कर सकता हूं, लेकिन उसमें तर्क होना चाहिए।”

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