नई दिल्ली : आज इंडस्ट्री में कई सुपर स्टार हैं लेकिन एक दौर वो भी था जब इंडस्ट्री में केवल एक ही सितारा चमकता था. उस सितारे की चमक के आगे ना ही कोई आज और ना ही कोई उस समय तक टिक पाया था. वो और कोई नहीं अपने काका जी हां! अपने राजेश खन्ना हैं. जिन्हें हिंदी फिल्म जगत का पहला सितारा भी कहा जाता है. काका की कुछ तो बात निराली थी. कहा जाता है कि उनकी जैसे स्टारडम किसी ने नहीं जी. उनका दौर जीने वाले तो कहते हैं कि शाहरुख़ के स्टारडम को अगर 20 गुना बढ़ा दिया जाए तो भी काका जितना नहीं हो सकता है.

रुला देंगे काका के शब्द

आज ही के दिन यानी 18 जुलाई 2012 में काका इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. उन्होंने अपने जीवन में भले ही कई हिट फिल्में दी हो लेकिन उनका जीवन भी किसी फिल्म से कम नहीं रहा था. शायद काका खुद भी ये बात जानते थे इसलिए तो उन्होंने अपने आखिरी शब्द भी किसी फिल्म के ख़त्म होने जैसे ही थे. काका ने जीवन के आखिरी और सबसे कीमती शब्दों में जो कहा वो शायद उनके फैंस को हमेशा के लिए कुछ सीखा गया. उनके आखिरी शब्द थे, ‘Time is up’, ‘Pack up’. ये शब्द जो सीखा गए कि लाइफ भी एक फिल्म ही है. जिसका अंत 3 घंटे में भले ही ना हो लेकिन कुछ सालों में जरूर हो जाता है.

‘ऊपर आका तो नीचे काका’ इसलिए हुआ प्रचलित

वाकई राजेश खन्ना ने जो स्टारडम जिया है वो शायद ही कोई सुपर स्टार अगले सौ सालों तक जी पाए. उनके दौर में एक समय वो भी था जब राजेश खन्ना के नाम पर भिखारी भीख मांगने लगे थे. जी हां! ये बात सच है. राजेश खन्ना का वो नाम हो चुका था कि लोग भगवान् को छोड़ कर उनका नाम लेते और भीख मानते थे. दरअसल एक समय जब राजेश खन्ना किसी फिल्म की शूटिंग मुंबई के विले पार्ले स्थित मिठीबाई कॉलेज गए तो उस समय शूटिंग सेट के बाहर एक भिखारी बैठा करता था. वह भिखारी राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगा करता था इसी वजह से ये कहावत भी प्रचलित हो गई कि ऊपर आका तो नीचे काका.

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