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संघर्षों से भरा रहा जाकिर हुसैन का बचपन, ट्रेन में अखबार बिछाकर सोना पड़ा

तबला वादक और भारतीय संगीत की शान उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह हो गया है। जाकिर हुसैन ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और 1991 में मिकी हार्ट के साथ "प्लैनेट ड्रम" एल्बम पर काम किया, जिसके लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार मिला।

Zakir Hussain passes away, childhood
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  • Last Updated: December 16, 2024 08:44:24 IST

नई दिल्ली: तबला वादक और भारतीय संगीत की शान उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह निधन हो गया है। बता दें 73 वर्षीय जाकिर हुसैन को इलाज के लिए सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  देश-विदेश में अपने संगीत का जादू बिखेरने वाले जाकिर हुसैन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में कुल 5 ग्रैमी पुरस्कार भी जीते हैं, जिनमें से तीन लगातार हासिल किये थे। हालांकि इन उपलब्धियों से पहले जाकिर हुसैन को काफी सघर्षों का सामना करना पड़ा था.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन बचपन से ही संगीत के प्रति रुचि रखते थे। उन्होंने माहिम स्थित सेंट माइकल हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और कम उम्र में ही तबला वादन की ओर रुख किया। 1973 में जॉर्ज हैरिसन के एल्बम में अपने संगीत का योगदान देकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। इसके बाद उनका सफर दुनियाभर में संगीत की नई ऊंचाइयों को छूता चला गया।

Zakir Hussain

ग्रैमी पुरस्कार मिला

जाकिर हुसैन ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और 1991 में मिकी हार्ट के साथ “प्लैनेट ड्रम” एल्बम पर काम किया, जिसके लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार मिला। वह कई फिल्मों के साउंडट्रैक का हिस्सा भी रहे। 1991 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा, 1996 के अटलांटा ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के संगीत कार्यक्रम की टीम में भी उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई।

आर्थिक परेशानियों से भरा रहा बचपन

जाकिर हुसैन को 2016 में व्हाइट हाउस में ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आमंत्रित किया था। हालांकि अपने शुरुआती दिनों में जाकिर हुसैन ने आर्थिक परेशानियों का सामना किया। उन्होंने ट्रेन के जनरल कोच में यात्रा की और कई बार सीट न मिलने पर अखबार बिछाकर उन्हें सोना पड़ा। वहीं 1983 में उन्होंने ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट में अभिनय भी किया, जिसमें उनके साथ शशि कपूर मुख्य भूमिका में थे।

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