नई दिल्ली : दिवंगत तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है और प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं। आज हम आपको इसी से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं। जाकिर ने एक बार अपने पिता अल्लाह रक्खा के बारे में बात की थी, जब उन्होंने पहली बार उन्हें अपनी बाहों में लिया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जाकिर ने आठ साल पहले इस बारे में बात की थी। जाकिर ने बताया था कि कैसे उनके पिता ने उनके जन्म पर उनके कान में नमाज नहीं पढ़ी थी, बल्कि तबले की ताल लगाकर उनका इस दुनिया में स्वागत किया था।
कुछ साल पहले जाकिर ने कहा था, ‘मुझे घर लाया गया और मेरे पिता की गोद में सौंप दिया गया। परंपरा थी कि पिता को बच्चे के कान में नमाज पढ़नी होती थी, बच्चे का स्वागत करना होता था और कुछ अच्छे शब्द कहने होते थे। इसलिए उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लिया, मेरे कान पर अपने होंठ रखे और मेरे कानों में तबले की ताल बजाई।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी मां गुस्सा हो गईं। उन्होंने कहा, ‘तुम क्या कर रहे हो? तुम्हें नमाज पढ़नी चाहिए, ताल नहीं।’ और उन्होंने कहा, ‘ये मेरी दुआ हैं, मैं इसी तरह दुआ करता हूं। उन्होंने कहा, ‘मैं देवी सरस्वती और भगवान गणेश का उपासक हूं ।’ उन्होंने कहा कि उन्हें यह ज्ञान अपने शिक्षकों से मिला है और वे इसे अपने बेटे को देना चाहते हैं।’
9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे ज़ाकिर को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
उनकी शुरुआती शिक्षा सेंट माइकल स्कूल में हुई और उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक किया। अपने शुरुआती दिनों में वे ट्रेन से यात्रा करते थे और अगर उन्हें सीट नहीं मिलती थी, तो वे फर्श पर अख़बार बिछाकर सो जाते थे। ऐसी यात्राओं के दौरान वे अपने तबले को गोद में रखकर सोते थे ताकि किसी के पैर उनके तबले को न छुएं।
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