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इस महिला का खून देखते ही सकपका गए डॉक्टर्स, ब्लड में मिली अनोखी चीज, पूरी दुनिया में सिर्फ एक लेडी की बॉडी में ऐसी खासियत

Blood Group Type: दुनिया भर में अब तक जितने भी ब्लड ग्रुप की पहचान की गई है, उनमें अब एक और नाम जुड़ गया है, 'G निगेटिव'।

Blood Group Type
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  • Last Updated: June 24, 2025 12:23:59 IST

Blood Group Type: दुनिया भर में अब तक जितने भी ब्लड ग्रुप की पहचान की गई है, उनमें अब एक और नाम जुड़ गया है, ‘G निगेटिव’। फ्रांस के वैज्ञानिकों ने इसे ‘अल्ट्रा रेयर’ यानी अत्यधिक दुर्लभ रक्त समूह बताया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह ब्लड ग्रुप अब तक सिर्फ एक ही महिला में पाया गया है और वह महिला ग्वाडेलूप की रहने वाली है। इस महिला के शरीर में मौजूद ब्लड ग्रुप न तो ए, बी, ओ और न ही किसी अन्य 47 ज्ञात ग्रुप से मेल खाता है।

2011 में हुई खोज की शुरुआत

इस अनोखे ब्लड ग्रुप की खोज की शुरुआत 2011 में तब हुई जब 54 वर्षीय इस महिला को सर्जरी के लिए खून की जरूरत पड़ी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि दुनिया में उपलब्ध किसी भी रक्तदाता का ब्लड उसके खून से मेल नहीं खा रहा था। सर्जरी से पहले किए गए मेडिकल टेस्ट में महिला के शरीर में असामान्य एंटीबॉडी पाए गए, जो अब तक देखे गए सभी ब्लड ग्रुप से अलग थे। इसी वजह से ऑपरेशन को टालना पड़ा।

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2019 में इस ब्लड ग्रुप की पहचान हुई

इसके बाद फ्रांसीसी संगठन Etablissement Français du Sang (EFS) ने डीएनए सीक्वेंसिंग और बायोलॉजिकल जांच की प्रक्रिया शुरू की। आठ साल की कड़ी मेहनत और गहन अध्ययन के बाद 2019 में इस ब्लड ग्रुप की पहचान हुई, लेकिन इसे वैज्ञानिक मान्यता अब 2025 में जाकर मिली है। EFS के मेडिकल बायोलॉजिस्ट के अनुसार, महिला को यह ब्लड ग्रुप माता-पिता के म्यूटेटेड जीन के कारण मिला है। इस ब्लड ग्रुप को अब ‘Gwada Negative’ यानी G निगेटिव नाम दिया गया है। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने भी इस खोज को मान्यता दी है, जिससे यह दुनिया का 48वां ब्लड ग्रुप बन गया है।

इतना रेयर ब्लड ग्रुप मिलना मेडिकल में बड़ी उपलब्धि

ब्लड ग्रुप की जानकारी न सिर्फ खून चढ़ाने में बल्कि अंग प्रत्यारोपण और गंभीर बीमारियों की पहचान में भी मददगार होती है। अमेरिका के CDC के मुताबिक, वहां हर साल करीब 1.4 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। ऐसे में एक नया और इतना दुर्लभ ब्लड ग्रुप मिलना चिकित्सा जगत में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस खोज ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि इंसानी शरीर और जेनेटिक्स के रहस्य अभी भी विज्ञान के लिए अधूरे हैं और नई खोजें लगातार संभव हैं।

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