Harmful Effects of Eating Too Much Sugar: चीनी की मिठास अब ज़हर का रूप लेती जा रही है। आधुनिक जीवनशैली और भागदौड़ के बीच लोग अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो गए हैं। इसी लापरवाही में रोज़मर्रा के खानपान में चीनी की मात्रा का अंदाजा भी नहीं लग पाता और शरीर कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (उत्तर प्रदेश) ने हाल ही में एक जागरूकता अभियान के तहत लोगों को चीनी का सीमित सेवन करने की सलाह दी है। विशेषज्ञों के अनुसार चीनी की अधिकता से डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। आजकल के खानपान में छिपी छुपी हुई शुगर सबसे बड़ा खतरा बन गई है। एक सामान्य 300 मिलीलीटर की सॉफ्ट ड्रिंक में करीब 31.8 ग्राम चीनी और 132 कैलोरी होती है। यह मात्रा न केवल शरीर में फैट बढ़ाती है बल्कि ब्लड शुगर को भी असंतुलित कर देती है।
इतना ही नहीं, लोगों की पसंदीदा चॉकलेट पेस्ट्री में 12 ग्राम चीनी और 297 कैलोरी, जबकि एक गुलाब जामुन में 32 ग्राम चीनी और 254 कैलोरी होती है। वहीं बाजार में मिलने वाले फ्लेवर्ड जूस में 46.8 ग्राम चीनी और 189 कैलोरी, और चॉकलेट में 25 ग्राम चीनी और 100 कैलोरी पाई जाती है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि हम अनजाने में ही रोज़ जितनी चीनी का सेवन कर रहे हैं, वह सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। भारत में मिठाई और त्योहारों की परंपरा में चीनी का अहम स्थान है, लेकिन आधुनिक दौर में इसकी मात्रा नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
वैश्वीकरण और बदलते खानपान ने चीनी युक्त खाद्य पदार्थों और पेयों की उपलब्धता को बढ़ाया है। पहले की तुलना में अब कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कहीं अधिक हो गया है, जो टाइप-2 डायबिटीज और ओवरवेट जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि चीनी के सेवन पर काबू पाया जाए तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने खाने-पीने की चीजों के लेबल पढ़ें, और उनमें मौजूद शुगर की मात्रा को समझें। सॉफ्ट ड्रिंक्स की जगह नींबू पानी या बिना चीनी वाला फलों का रस अपनाएं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी सुझाव देता है कि दैनिक कैलोरी का सिर्फ 5-10 प्रतिशत हिस्सा ही ‘मुक्त चीनी’ से आना चाहिए। इसके लिए हमें अपने आहार में फल, सब्जियां और साबुत अनाज को प्राथमिकता देनी चाहिए। सेहतमंद जीवनशैली की शुरुआत संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से होती है। अगर हम बच्चों को भी शुरुआत से ही सही आदतें सिखाएं तो आने वाली पीढ़ी इन गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रह सकती है। चीनी की आदत से आज़ादी ही है असली मीठी जिंदगी की शुरुआत।
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