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क्या चेचक की तरह है Monkeypox? कैसे फैलती है ये बीमारी?

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी करार दिया है. दुनिया भर में इसके मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इसके लक्षण क्या हैं? बता दें, भारत में भी इस वायरस का चौथा मामला सामने आ गया है. केरल के अलावा दिल्ली […]

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  • Last Updated: July 24, 2022 17:56:20 IST

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी करार दिया है. दुनिया भर में इसके मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इसके लक्षण क्या हैं? बता दें, भारत में भी इस वायरस का चौथा मामला सामने आ गया है. केरल के अलावा दिल्ली में भी इसका एक संक्रमित पाया गया है. बता दें, ये चिंता वाली बात इसलिए भी है क्योंकि यह बीमारी पहले कभी भारत या कई देशों में नहीं पाई गई. कई ऐसे देश हैं जहां इस बीमारी ने पहली बार ही दस्तक दी है. ऐसे में WHO की चेतावनी भी एक संकेत है कि इस वायरल को लेकर सतर्क होने की आवश्यकता है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे फैलता है मंकीपॉक्स और क्या हैं इसके बचाव व लक्षण.

बंदरों से सामने आया वायरस

चेचक की तुलना अगर मंकीपॉक्स से की जाए तो यह एक हल्का संक्रमण है, भले ही दोनों के लक्षण और प्रोग्रेस एक जैसे हैं. जिन देशों में यह बीमारी लोकल है वहाँ भी इसका प्रभाव कम है. मुख्य रूप से अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ हिस्सों में इसकी मृत्यु दर कम है. बता दें, मंकीपॉक्स मुख्य रूप से जानवरों की ही एक बीमारी है यह उन जानवरों से फैलती है जो जूनोटिक बन गए हैं – प्रजातियों को पार कर चुके हैं और मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं.

इस बीमारी की खोज पहली बार 1958 में शोध के जरिए बंदरों में हुई थी. साल 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (तब ज़ैरे) से इसे पहले मनुष्य में पाया गया था. यह एक 9 वर्षीय लड़का था जो इससे प्रभावित हुआ था. अब इसे केवल कुछ अफ्रीकी देशों में ही पाया जाता है. जहां से जानवरों के व्यापार और लोकल देशों में विजिटर्स के असुरक्षित व्यवहार के कारण ये बाहरी देशों में फैलता है.

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?

लक्षणों की बात करें मंकीपॉक्स होने पर आमतौर पर बुखार आता है. इसके अलावा दाने और गांठ के जरिये उभरता है जिस कारण कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. इस रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं, जो अपने आप दूर हो जाते हैं. लेकिन स्थिति गंभीर होने पर मृत्यु भी हो सकती है. बता दें, इस बीमारी से मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है.

ऐसे फैलता है संक्रमण

इस बीमारी का पशु से मानव ट्रांसमिशन के अलावा, मानव से मानव ट्रांसमिशन भी संभव है. हालाँकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. जहां एक संक्रमित जानवर के मांस का सेवन या उसके शरीर के स्राव के संपर्क में आने से मानव में फैलता है. जहां काटने या खरोंचने से मनुष्यों से मनुष्यों में यह रोग फैलता है:

संपर्क :

संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के साथ यौन संपर्क या सीधा संपर्क.
संक्रमित लोगों के चकत्ते या फुंसियों के संपर्क में आने से भी यह संक्रमण फैलता है.
बीमार व्यक्ति के साथ लंबे समय तक आमने-सामने बैठकर संपर्क करने से.
वायरस से दूषित वस्तुओं जैसे बिस्तर या कपड़े को छूने के बाद.

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