नई दिल्ली. 7th pay commission, 7th pay commission latest news: मौजूदा वितरण प्रणाली के तहत सातवें वेतन आयोग का कार्यान्वयन सबसे खराब होने का दावा किया गया है. बुनियादी न्यूनतम वेतन में संशोधन के बारे में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को आशा की कई किरणें दी गई थीं. सरकारी कर्मचारियों की मांग को लगातार नजरअंदाज किया गया और आखिरकार सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया.
कर्मचारियों ने सरकार पर कर्मचारियों की लगातार उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि वेतन पैनल बहुत निराशाजनक रहा है और हमने पिछले 70 वर्षों में सबसे कम वेतन देखा है.उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को 2003 में एक पे पैनल गठित करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह एक साल बाद कांग्रेस ने किया था.
जो कुछ दांव पर है वो यह देखते हुए बहुत अधिक है कि सरकार के विभिन्न प्रभागों में 47 लाख लोग काम कर रहे हैं. पांचवें और छठवें वेतन आयोग दोनों ने 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी. हालांकि मौजूदा पे पैनल में महज 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की पेशकश की गई है. अनुपात में भी कमी आई है क्योंकि सबसे कम और उच्चतम के बीच भी वृद्धि हुई है. पहले यह अनुपात 1:12 था और न कि यह बढ़कर 1:14 हो गया है.
सातवें वेतन आयोग ने 180,000 रुपये के मूल न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी की सिफारिश की थी. हालांकि सरकारी केंद्रीय कर्मचारियों को बहुत निराशा हुई और उन्होंने 26,000 रुपये की मांग की. हालांकि, सरकार द्वारा इसे नजरअंदाज कर दिया गया, जिसने आश्वासन दिया कि मांगों पर ध्यान दिया जाएगा.