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क्यों मजबूर हैं राजाओं एवं नवाबों के वशंज मजदूरी करने के लिए?

नई दिल्ली। राजशाही और नवाबी खत्म होने के लम्बे समय बाद भी उनके वंशजो की खबरे सामने आती रहती हैं। ऐसा देखने को मिलता है कि, जिनके पूर्वज एक समय में राज करते थे, लेकिन आज ऐसे तमाम हिंदू एवं मुस्लिम राजाओं के वंशज हैं जो आज मजदूरी, घरों का काम करने को मजबूर हैं। […]

नवाबों एवं राजाओं के वंशज क्यों मजबूर हैं गरीबी में जीने के लिेए
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  • Last Updated: December 3, 2022 14:54:46 IST

नई दिल्ली। राजशाही और नवाबी खत्म होने के लम्बे समय बाद भी उनके वंशजो की खबरे सामने आती रहती हैं। ऐसा देखने को मिलता है कि, जिनके पूर्वज एक समय में राज करते थे, लेकिन आज ऐसे तमाम हिंदू एवं मुस्लिम राजाओं के वंशज हैं जो आज मजदूरी, घरों का काम करने को मजबूर हैं। यदि इस बात मे सत्यता है की क्या वह वाकई में राजाओं एवं नवाबों के वंशज हैं तो इसमें ज़रा भी चौंकने की बात नही हैं कि, वह आज नीचले दर्जे का काम करने पर क्यों मजबूर हो गए हैं?

क्यों करते हैं नीचले दर्जे का काम?

आप सभी को पता होगा कि, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था तो वह भारत की संपत्ति को लंदन भेजने का कार्य कर रही थी। लेकिन भारत पर सम्पूर्ण कब्जे से पहले उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी करीब 600 रजवाड़ों एवं नवाबों से लोहा ले कर उन्हे परास्त करना कंपनी जिस भी नवाब या रजवाड़े को परास्त कर देती थी या तो उन्हे आजीवन कारावास की सज़ा सुना देती थी या फिर उन्हे मौत की सज़ा प्राप्त होती थी। यहाँ तक कि कई राजाओं और नवाबों के वंशज तक को मार दिया जाता था।
जिसके चलते हारे हुए राजा या नवाब के वंशज कंपनी की पकड़ से दूर गुमनामी की ज़िंदगी बिताने के लिए मजबूर हो जाते थे।

कुछ राजाओं एवं नवाबों के वशंज आज भी धनी हैं

कंपनी यूं ही किसी भी राजा या नवाब पर हमला नहीं करती थी बल्कि उनके साथ एक संधि प्रस्ताव रखती थी कि, यदि वह कंपनी के आधीन बिना युद्ध के हो जाते हैं तो कंपनी उन्हे पेंशन एवं उसकी सत्ता का गवर्नर नियुक्त कर देगी। तमाम राजाओं ने कंपनी की इन शर्तों को मान लिया।
जब देश आज़ाद हुआ तो कंपनी की शर्त मानने वाले राजाओं को उनकी सत्ता वापस दे दी गई जिसके चलते उनके वंशज आज भी धनी हैं।
लेकिन आज भी तमाम ऐसे लोग हैं जो राजाओं एवं नवाबों के वशंजों का मज़ाक महज़ इस बात को लेकर उड़ाते हैं कि आज उनकी आर्थिक स्थिती ख़राब है, लेकिन वह उनकी इस गरीबी में छिपे उनके पूर्वजों के बलिदान एवं देश प्रेम को भूल जाते हैं।