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NGT ने 10 रुपए वसूलने के लिए खर्च दिए 33 हज़ार!

 एक चौकाने वाले खुलासे में सामने आया है कि नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने 10 रुपये के दावे के लिए 33,050 रुपये खर्च कर दिए. आलोक कुमार घोष नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई ऐक्ट के तहत एक जानकारी मांगने के लिए नियमों के मुताबिक स्टैंप पेपर या फिर उतने ही मूल्य के डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल न करते हुए अपने आवेदन के साथ 10 रुपये का एक कोर्ट स्टैंप लगाया.

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  • Last Updated: July 10, 2015 07:55:38 IST

नई दिल्ली. एक चौकाने वाले खुलासे में सामने आया है कि नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने 10 रुपये के दावे के लिए 33,050 रुपये खर्च कर दिए. आलोक कुमार घोष नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई ऐक्ट के तहत एक जानकारी मांगने के लिए नियमों के मुताबिक स्टैंप पेपर या फिर उतने ही मूल्य के डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल न करते हुए अपने आवेदन के साथ 10 रुपये का एक कोर्ट स्टैंप लगाया.

घोष ने एनजीटी द्वारा आंतरिक भर्ती के लिए आयोजित एक परीक्षा के सिलसिले में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई दखिल की थी. जानकारी में उन्होंने चुने गए उम्मीदवारों के नाम और उनके द्वारा हासिल किए गए नंबरों समेत कुछ जरूरी जानकारियां मांगी थीं. जब उन्हें कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने सीआईसी के पास इस संबंध में एक शिकायत दर्ज कराई.

एनजीटी को आड़े हाथों लेते हुए इन्फॉर्मेशन कमिश्नर एम श्रीधर अचरयूलू ने कहा कि एनजीटी ने अपील के लिए पेश होने वाले अपने वकीलों को अपने बचाव में यह कहने के लिए कैसे 10 रुपये का पोस्टल टिकट न लगाने के कारण आवेदनकर्ता को आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया है, 33,0050 रुपये देती है. कमिश्नर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एनजीटी का यह रवैया आरटीआई के प्रति उसकी उदासीनता और जनता के पैसे की बर्बादी दिखाता है. कमिश्नर ने एनजीटी से पूछा कि क्या वकील को अपने बचाव के लिए 33,050 रुपये का शुल्क देने से बेहतर वह आरटीआई का जवाब नहीं दे सकते थे.

कमिश्नर ने एनजीटी को आवेदनकर्ता घोष के सवालों का 21 दिनों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया. इन्फॉर्मेशन कमिश्नर अचरयूलू ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ऐसी सामान्य जानकारी को भी दूसरी अपील तक खींचने की यह हरकत शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि वकीलों और अन्य कानूनी विशेषज्ञों को मोटी रकम चुका कर और ढेरों पन्ने कागज के दस्तावेज अपने बचाव में पेश कर एनजीटी ने न केवल जनता का कीमती पैसा बर्बाद किया बल्कि पर्यावरण का भी नुकसान किया. वह भी केवल इसलिए कि आवेदनकर्ता ने 10 रुपये का पोस्टल स्टांप नहीं लगाया था.

एजेंसी 

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