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आखिर क्यों सजा-ए-मौत मुकर्रर करने के बाद जज साहब पेन की निब तोड़ देते हैं !

अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि जब अदालत में किसी को मौत की सजा सुनाई जाती है तो जज अपने पेन की निब तोड़ देते हैं. क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की कि आखिर जज साहब ऐसा करते क्यों है. आखिर कौन सी वजह है कि सजा-ए-मौत के बाद मुकर्रर करने के बाद जज को पेन की निब तोड़ने की जरूरत पड़ती है?

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  • Last Updated: June 26, 2017 14:19:08 IST
नई दिल्ली : अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि जब अदालत में किसी को मौत की सजा सुनाई जाती है तो जज अपने पेन की निब तोड़ देते हैं. क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की कि आखिर जज साहब ऐसा करते क्यों है. आखिर कौन सी वजह है कि सजा-ए-मौत के बाद मुकर्रर करने के बाद जज को पेन की निब तोड़ने की जरूरत पड़ती है?
 
दरअसल, इसके जवाब के लिए आपको ये समझना होगा कि फांसी अथवा मौत की सजा सबसे बड़ी सजा होती है. इस तरह की सजा रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस में दिये जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि फांसी की सजा किसी भी इंसान के लिए सबसे बड़ी सजा होती है. ये एक ऐसी सजा होती है, जिससे संबंधित व्यक्ति का जीवन खत्म हो जाता है. यही वजह है कि जब जज किसी भी व्यक्ति को फांसी या फिर मौत की सजा देते हैं तो उसके साथ ही जिस पेन से ये फैसला लिखते हैं उसे तोड़ देते हैं. 
 
 
माना ये भी जाता है कि जिस पेन से किसी के जीवन का फैसला मौत के रूप में लिख दिया जाता है, उस पेन की निब तोड़ने की वजह ये है कि ऐसी उम्मीद की जाती है कि आगे से ऐसे जघन्य अपराध न हों. साथ ही जज की ओर से फैसले के बाद पेन तोड़ने की एक वजह ये भी होती है कि जब उस कलम से किसी व्यक्ति की जीवन लीला खत्म हो जाती है, पेन की निब तो़ड़ने की वजह ये होती है कि ताकि उस पेन का दोबारा प्रयोग न हो और न ही कभी किसी की मौत की सजा का अवसर आए. 
 
पेन की निब तोड़ने के पीछे मान्यता ये भी है कि इंसान की मौत के साथ-साथ उस पेन की भी मौत हो जाए और किसी भी शख्स के लिए फैसला लिखने योग्य ये पेन न बचे. माना ये भी जाता है कि जज अपने अपराध बोध के लिए पेन की निब तोड़ देते हैं. क्योंकि किसी भी शख्स के लिए किसी को मौत की सजा देना आसान नहीं होता. इसलिए जज ये सोचते हैं कि इस पेन ने किसी की जान ली है, इसलिए अब पेन को रहने का अधिकार नहीं. 
 
 
याद रहे कि एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि वो उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके. तो ये सारी वजहें जिनके कारण पेन की निब तोड़ दी जाती है. 
 

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