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कमाल : आधार कार्ड की वजह से दो साल पहले बिछड़े एक मंदबुद्धि शख्स को मिला उसका परिवार

अगर आप आधार के महत्व को अब तक नहीं समझ पाए हैं, तो ये खबर आपको ये मानने पर मजबूर कर देगा कि आधार सच में जीवन का आधार हो सकता है. जी हां, इंदौर के एक शख्स के परिवार की जिंदगी में आधार कार्ड का महत्व अब किसी चमत्कार से कम नहीं है. क्योंकि इसी की वजह से परिवार को उसका बेटा मिल पाया है.

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  • Last Updated: July 14, 2017 17:47:49 IST
इंदौर : अगर आप आधार के महत्व को अब तक नहीं समझ पाए हैं, तो ये खबर आपको ये मानने पर मजबूर कर देगा कि आधार सच में जीवन का आधार हो सकता है. जी हां, इंदौर के एक शख्स के परिवार की जिंदगी में आधार कार्ड का महत्व अब किसी चमत्कार से कम नहीं है. क्योंकि इसी की वजह से परिवार को उसका बेटा मिल पाया है. 
 
बताया जा रहा है कि करीब दो साल पहले अपने माता-पिता से बिछड़कर बेंगलुरु पहुंचा मंदबुद्धि युवक अपने जब परिवार से मिला तो वहां का पूरा माहौल बदल गया. परिवार के साथ-साथ लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर ये चमत्कार कैसे हो गया. मगर ये सब मुमकिन हो पाया है तो सिर्फ और सिर्फ आधार कार्ड की वजह से.
 
 
राज्य के सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त निदेशक बीसी जैन के मुतबिक, मंदबुद्धि युवक नरेंद्र चंदेल उर्फ मोनू को दो सदस्यीय दल के जरिये ट्रेन से लाया गया. बता दें कि साथ में उसके पिता रमेश चंदेल भी मौजूद थे. 
 
बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से बीमार मोनू दो साल पहले शायद किसी ट्रेन में बैठकर इंदौर से बेंगलुरु पहुंच गया था. हालांकि, वहां वह सुरक्षित था और वह बेंगलुरु में मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद के लिए चलाई जाने वाली एक संस्था के अंडर में रह रहा था.
 
 
यह संस्था जब मोनू को आधार बनवाने के लिए एक ‘आधार’ कार्ड शिविर ले गई, तो उसके आइरिस स्कैन और अंगूठे की छाप दिए जाने के बाद पता चला कि उसका ‘आधार’ कार्ड पहले ही बन चुका है. जब मोनू के आधार कार्ड की जानकारी खंगाली गई तब जाकर पता चला कि उसका नाम नरेंद्र चंदेल है और उसका घर इंदौर में है.
 
इसके बाद संस्था के अधिकारियों ने जिला प्रशासन को मोनू की जानकारी दी और उसके बाद मोनू को उसके परिवार से मिलाया गया है. मोनू को देखते ही उसके परिवार वालों की खुशी देखने लायक थी. 
 

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