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6 माह के बच्चों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, पटाखे हमें जीने नहीं देते

नई दिल्ली. न्यायिक इतिहास में पहली बार 6 माह के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर है. ये बच्चे पटाखे जलाने पर रोक लगवाना चाहते हैं. इस तरह की ये पहली याचिका है जब दो छह महीने के बालकों अर्जुन, गोपाल और 14 महीनें की जोया राव भासिन ने भारत के सबसे बड़े कोर्ट […]

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  • Last Updated: September 30, 2015 11:50:47 IST

नई दिल्ली. न्यायिक इतिहास में पहली बार 6 माह के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर है. ये बच्चे पटाखे जलाने पर रोक लगवाना चाहते हैं. इस तरह की ये पहली याचिका है जब दो छह महीने के बालकों अर्जुन, गोपाल और 14 महीनें की जोया राव भासिन ने भारत के सबसे बड़े कोर्ट के सामने ये याचिका दर्ज करवाई है.

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि ‘हमारे फेफड़े अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं और हम पटाखों से होने वाले प्रदूषण को सह नहीं सकते’. इन 6 माह के बच्चों की तरफ से ये याचिका उनके अधिवक्ता पिता ने दायर की है.

बच्चों के पिता ने अपनी याचिका में प्रदूषण को मुख्य मुद्दे के रूप में दर्शाया है. उन्होंने त्योहारों में आतिशबाजी को कम करने के अलावा फसलों की कटाई के बाद जलने से होने वाला प्रदूषण, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों और खुले कचड़े को लेकर भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.

सुप्रीम कोर्ट में नियमों के मुताबिक नाबालिग अपने मूल अधिकारों की रक्षा के लिए अपने माता-पिता की सहायता से सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा सकते हैं. इसका जिक्र भारतीय संविधान की के अनुच्छेद 32 में मिलता है. साथ ही ये याचिका राइट टू लाइफ (जीवन जीने का अधिकार) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के हनन को लेकर लगाई गई है.

 इसके अलावा अक्टूबर नवंबर में दशहरा और दीपावली के दौरान पटाखे फोड़े जाने से वातावरण और बुरी तरह से धुएं से भर जाता है जिसकी वजह से फेफड़ों संबंधी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

 

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