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600 रुपए के जूते के लिए 11 साल तक लड़ी जंग, अब मिला न्याय.. जानें पूरा मामला

भोपल: गरीब व्यक्ति धन से गरीब होता है लेकिन उसके आत्मसम्मान पर जब बात आए तो वह न्याय की लड़ाई ग्यारह वर्षों तक लड़ सकता है. ऐसा ही एक किस्सा मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के रहने वाले शिवराज सिंह ठाकुर ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और इस लड़ाई […]

शिवराज सिंह ठाकुर
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  • Last Updated: August 12, 2024 18:04:09 IST

भोपल: गरीब व्यक्ति धन से गरीब होता है लेकिन उसके आत्मसम्मान पर जब बात आए तो वह न्याय की लड़ाई ग्यारह वर्षों तक लड़ सकता है. ऐसा ही एक किस्सा मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के रहने वाले शिवराज सिंह ठाकुर ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और इस लड़ाई में जीत भी हासिल की।

600 रुपए से शुरु हुआ झगड़ा

दरअसल यह मामला 2013 में शुरू हुआ जब शिवराज ठाकुर ने बालाघाट के सुभाष चौक स्थित ज्योति फुट वियर से 600 रुपए के जूते खरीदे थे । जूते खरीदने के दो दिन बाद ही जूते का सोल अंदर से फट गया था। जब शिवराज जूते बदलवाने दुकानदार के पास गए तो दुकानदार ने न सिर्फ उनकी शिकायत को अनसुना किया बल्कि उनका अपमान किया और उनकी हैसियत पर भी सवाल उठाए थे.

दुकानदार अपमानजनक व्यवहार से आहत ग्राहक

दुकानदार ने कहा कि वह इन जूतों को अब बदल नहीं सकता, क्योंकि जूतों पर कोई गारंटी या वारंटी नहीं है. तब शिवराज ने कहा कि आपने खरीदते वक्त बड़ी-बड़ी बातें की थीं. इस पर दुकानदार भड़क गया. ग्राहक शिवराज ने कहा कि वह इस पूरे मामले को लेकर कंज्यूमर फोरम में जाएगा और इसकी शिकायत करेगा. इस पर दुकानदार ने कहा कि मैंने तुम्हारे जैसे कई ग्राहक देखे हैं. वहां जाकर भी तुम क्या करोगे? इसमें भी 2000 रुपये दे कर शिकायत दर्ज करवानी होती हैं. अब देखते हैं तुम्हारी क्या हैसियत है? इस अपमानजनक व्यवहार से आहत होकर शिवराज ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया. 2013 में उन्होंने बालाघाट के कंज्यूमर फोरम में केस दायर किया. हालांकि 2 महीने तक केस चलने के बाद जब वे कंज्यूमर फोरम बालाघाट के फैसले से संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने स्टेट कंज्यूमर फोरम भोपाल में अपील की थी .

कितना भरना पड़ा जुर्माना

इस मामले में फैसला आने में 11 साल लग गए। आखिरकार मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, भोपाल ने दुकानदार पर 3,040 रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें 600 रुपये की मूल राशि के साथ 6% वार्षिक ब्याज, 1,000 रुपये शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए और 1,000 रुपये अपील व्यय के लिए शामिल थे।

 

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