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Gulal Gote In Jaipur: राजा महराजा होली खेलने के लिए करते थे इस्तेमाल, देखें कैसे बनता है गुलाल गोटा

नई दिल्ली। वक्त के समय चीज़ें बदलते देर नहीं लगती। बदलते समय के साथ बहुत सी चीज़ों में बदलाव आया है। मगर आज भी कई ऐसी चीज़ें हैं जो बिल्कुल वैसे ही चल रही हैं जैसे की पहले के समय में हुआ करती थी। इन्हीं चीज़ों में एक है जयपुर शहर का विख्यात गुलाल गोटा। […]

Gulal Gota
inkhbar News
  • Last Updated: March 14, 2024 18:12:42 IST

नई दिल्ली। वक्त के समय चीज़ें बदलते देर नहीं लगती। बदलते समय के साथ बहुत सी चीज़ों में बदलाव आया है। मगर आज भी कई ऐसी चीज़ें हैं जो बिल्कुल वैसे ही चल रही हैं जैसे की पहले के समय में हुआ करती थी। इन्हीं चीज़ों में एक है जयपुर शहर का विख्यात गुलाल गोटा। ये आज भी उतना ही पॉपुलर है जितना की पहले था। यही नहीं ये राजा- महराजाओं के समय से चला आ रहा है। इसे होली के समय खूब खेला जाता था।

गुलाल गोटा

दरअसल, जयपुर का गुगाल गोटा बहुत ही प्रसिद्ध है। गुलाल गोटा से होली खेलने की परंपरा करीब 400 साल पुरानी है। इसका इस्तेमाल राजा- महराजाओं द्वारा होली खेलने के लिए किया जाता था। ये गुलाल गोटा एक गुब्बारे की तरह दिखाई देने वाले लाख से बना गोला होता है। इसके अंदर अलग-अलग रंग भरे जाते हैं। जब इसे सामने वाले व्यक्ति पर फेंक कर मारा जाता है तो इसके अंदर रखा गुलाल बिखर कर उस व्यक्ति पर फैल जाता है। हाल ही गुलाल गोटा के बनने की प्रक्रिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को अबतक 1 लाख 40 हजार से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं।

 

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ऐसे तैयार होता है गुलाल गोटा

बता दें कि गुलाल गोटा को मूल रूप से लाख से बनाया जाता है। ये वजन में काफी हल्का होता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले लाख की छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं। इसके बाद एक छोटे से पाइप के जरिए उसमें फूंक मार कर हवा भरते हैं। ऐसा करते हुए इसे गोलाकार दिया जाता है। इसके बाद इसे एक पानी के बर्तन में रखा जाता है। फिर इसमें अलग-अलग रंग के गुलाल भरे जाते हैं। इसका इस्तेमाल देश के कई मंदिरों में होता है। गोविंद देव जी और मथुरा वृंदावन के मंदिरों में इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है।