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महाकुंभ में चमत्कार वाले बाबा की मची धूम, मुंह से निकाला ऐसा कुछ, देखकर दंग रह जाएंगे

नागा सन्यासी साधु ने अपनी दैवीय शक्ति का प्रदर्शन करते हुए एक अद्भुत काम किया जिसे देखकर भक्त हैरान रह गए। साधु ने अपने मुंह से करीब 50 से 80 सेंटीमीटर लंबा त्रिशूल निकाला, जिसे देखकर लोगों ने इसे चमत्कारी माना। यह घटना मेला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई और इस साधु का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं और श्रद्धा और आस्था का प्रतीक मान रहे हैं.

Maha Kumbh Baba Miracle created a stir, you will be stunned to see something like this coming out of his mouth
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  • Last Updated: January 22, 2025 19:15:48 IST

नई दिल्ली: महाकुंभ मेला भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जहाँ साधुओं और अखाड़ों की दीक्षा और साधना का विशेष महत्व है। इस बार का महाकुंभ प्रयागराज में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 144 साल बाद हो रहा है और हजारों साधुओं के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर उभर रहा है। खास बात यह है कि इस बार महाकुंभ में चमत्कारी नागा साधुओं का नजारा देखने को मिल रहा है.

इंतजार करना पड़ता है

महाकुंभ में साधुओं को दीक्षा लेने के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है, लेकिन इस साल प्रयागराज में साधुओं की संख्या में खासा इजाफा देखा जा रहा है. महिलाएं भी नागा साधु बनने के इस पारंपरिक रास्ते पर चलने लगी हैं। यह परिवर्तन न केवल समाज में महिलाओं की भूमिका को सशक्त बना रहा है, बल्कि धर्म और साधना के क्षेत्र में समानता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। महाकुंभ में साधुओं का जीवन केवल साधना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कभी-कभी चमत्कारिक घटनाएं भी घटित होती हैं।

हाल ही में एक नागा सन्यासी साधु ने अपनी दैवीय शक्ति का प्रदर्शन करते हुए एक अद्भुत काम किया जिसे देखकर भक्त हैरान रह गए। साधु ने अपने मुंह से करीब 50 से 80 सेंटीमीटर लंबा त्रिशूल निकाला, जिसे देखकर लोगों ने इसे चमत्कारी माना। यह घटना मेला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई और इस साधु का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं और श्रद्धा और आस्था का प्रतीक मान रहे हैं.

अद्भुत अनुभव साबित हो रहा

महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह समाज में विभिन्न बदलावों, विशेषकर महिला साधुओं की बढ़ती संख्या और चमत्कारी घटनाओं का भी गवाह बन रहा है। इस आयोजन के दौरान नागा साधुओं की मौजूदगी और उनकी दैवीय शक्तियों से जुड़ी कहानियां लोगों में एक नया उत्साह और श्रद्धा पैदा कर रही हैं। महाकुंभ का ये खास मौका सिर्फ साधुओं के लिए ही नहीं बल्कि आम जनता के लिए भी अद्भुत अनुभव साबित हो रहा है.

कुंभ मेला, जो चार प्रमुख स्थानों – प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक में आयोजित किया जाता है, इन स्थानों पर ही नागा साधुओं को दीक्षा दी जाती है। खासतौर पर प्रयागराज का महाकुंभ इसे अन्य कुंभ मेलों से अलग करता है, क्योंकि इसे तीर्थों का राजा कहा जाता है। इस महाकुंभ में कुल 13 अखाड़े हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें शैव और वैष्णव संप्रदाय के साधु शामिल हैं. हर अखाड़े में एक मंडलेश्वर या महामंडलेश्वर होता है, जो अखाड़े का नेतृत्व करता है। शाही स्नान के दौरान सभी अखाड़ों के साधु अपने नियत समय पर स्नान करते हैं, जो उनके धार्मिक कर्तव्यों का हिस्सा है। इन अखाड़ों में हजारों साधु रहते हैं, जो ध्यान और साधना में लीन रहते हैं।

 

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