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दूल्हे को कहो बाय-बाय…यहां लड़का नहीं बल्कि बहन लेती है दुल्हन संग फेरे, इस गांव की शादी का रहस्य जानकर हिल जाएगा दिमाग

भारत अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। जैसा की सभी जानते हैं कि शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन ही सात फेरे लेते हैं, परंतु हमारे देश में ऐसे भी गांव हैं, जहां पर दूल्हा अपनी शादी में शामिल नहीं होता है।

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inkhbar News
  • Last Updated: January 29, 2025 13:13:14 IST

नई दिल्ली: भारत अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। जैसा की सभी जानते हैं कि शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन ही सात फेरे लेते हैं, परंतु हमारे देश में ऐसे भी गांव हैं, जहां पर दूल्हा अपनी शादी में शामिल नहीं होता है और उसकी जगह उसकी बहन फेरे लेती हैं। इस बात पर शायद किसी को यकीन न हो, लेकिन इस गांव में लोग इसी परंपरा का पालन करते हैं।

बहन ही निभाती है बहन ही निभाती है

जानकारी के अनुसार गुजरात राज्य में ऐसे तीन गांव हैं, जहां पर दुल्हन के साथ दूल्हे की बहन फेरे लेती है और दूल्हे की बहन के साथ ही दुल्हन की विदाई की जाती है। ये अनोखे तरह की शादी कई सालों से गुजरात के तीन गांवों में करवाई जा रही है। इन गांवों में आदिवासी लोग निवास करते हैं और यहां पर इसी तरह की परंपरा निभाई जाती है। रिवाज के अनुसार दूल्हे की बहन शादी वाले दिन बारात लेकर आती है और दुल्हन की ही तरह सजी होती है। दूल्हे द्वारा किए जाने वाले सभी रीति रिवाज को मंडप पर उसकी बहन ही निभाती है और दूल्हन के साथ सात फेरे लेती है। इसके बाद बहन ही दूल्हन की मांग में सिंदूर भरती है। वहीं शादी संपन्न होने के बाद दुल्हन के घर वाले अपनी बेटी को दूल्हे की बहन के साथ विदा कर देते हैं।

दूल्हा नहीं जाता बाहर

इस रिवाज के मुताबिक दूल्हा इन सभी शादी की रस्मों के दौरान अपने घर में ही रहता है और दूल्हे के साथ साथ उसकी मां भी शादी में नहीं जाती है। इसके अलावा अन्य रिश्तेदारों के साथ दूल्हे के पिता शादी में शिरकत करते हैं और दूल्हे की अविवाहित बहन को धूमधाम से शादी के लिए लेकर जाते हैं और यदि किसी दूल्हे की कोई बहन नहीं हो या फिर उसकी बहन की शादी हो गई हो, तो ऐसे में दूल्हे के परिवार की कोई अन्य अविवाहित महिला शादी के लिए जाती है।

ऐसी शादी का ये है कारण

बता दें कि ऐसी अनोखी शादी सुरखेड़ा गांव में की जाती है। इस गांव के अलावा दो अन्य गांव सनाडा और अंबल में भी इसी तरह की शादी की जाती है। शादी के दौरान यहीं रीती रिवाज वहां निभाए और माने जाते हैं। दरअसल सुरखेड़ा गांव के लोगों का ऐसा कहना है कि अगर दूल्हा शादी के लिए जाता है को दूल्हे या दुल्हन के घर वालों को नुकसान पहुंचता है और इसी डर के कारण इस रीति रिवाज को माना जाता है। सुरखेड़ा गांव के कानजीभई राथवा ने अनुसार ‘सारे रस्में दूल्हे की बहन द्वारा की जाती हैं और दूल्हे की बहन ही फेरे लेती है। ये प्रथा तीन गांवों में कई सालों से चली आ रही है और अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो कुछ नुकसान हो जाता है।’

प्रथा तोड़ने की कोशिश की

इस प्रथा को लेकर गांव के मुखिया रामसिंहभाई राथवा का कहना है कि दुल्हन की शादी दूल्हे की बहन के साथ करवाने की इस प्रथा को कई लोगों ने तोड़ने की कोशिश की है। कई लोगों ने इसका विरोध किया, परंतु जिसने भी इस प्रथा को नहीं निभाया र उन लोगों के साथ बुरा ही हुआ है। रामसिंहभाई ने आगे कहा कि जिन लोगों ने भी इस प्रथा के तहत विवाह नहीं किया है या तो उनकी शादी टूट गई है या फिर उनके घर में कोई बड़ी परेशानी आईं है।

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