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हावड़ा ब्रिज की अनसुनी कहानी, हुगली पर टिकी 80 साल पुरानी शान

हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य ब्रिटिश सरकार ने 1936 में शुरू किया था और 1942 में इसे पूरा किया गया। हालांकि, यह पुल 3 फरवरी 1943 को आम जनता के लिए खोला गया, लेकिन इसका औपचारिक उद्घाटन आज तक नहीं हुआ।

Howrah Bridge, History
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  • Last Updated: November 16, 2024 23:31:02 IST

नई दिल्ली: हावड़ा ब्रिज, जो हुगली नदी पर स्थित है, अपनी शानदार बनावट और खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यह पुल पश्चिम बंगाल के हावड़ा और कोलकाता शहर को जोड़ता है और भारतीय इंजीनियरिंग का बेमिसाल उदाहरण है। हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य ब्रिटिश सरकार ने 1936 में शुरू किया था और 1942 में इसे पूरा किया गया। हालांकि, यह पुल 3 फरवरी 1943 को आम जनता के लिए खोला गया, लेकिन इसका औपचारिक उद्घाटन आज तक नहीं हुआ।

टाटा स्टील रहा योगदान

हावड़ा ब्रिज के निर्माण में 26,000 टन स्टील का उपयोग हुआ, जिसमें 23,000 टन ‘टिस्काल’ स्टील की आपूर्ति टाटा स्टील ने की। पुल का निर्माण बीबीजे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के कामगारों की मेहनत का नतीजा है। यह पुल हुगली नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो मजबूत पिलरों पर टिका हुआ है। इन पिलरों के बीच की दूरी लगभग 1,500 फीट है.

हावड़ा ब्रिज बदला गया

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, दिसंबर 1942 में हावड़ा ब्रिज के पास एक बम गिरा था। हालांकि पुल को कोई नुकसान नहीं हुआ, जो इसकी मजबूत बनावट का प्रमाण है। पुल को डिजाइन और निर्माण के दौरान आने वाली तमाम बाधाओं के बावजूद इसे सुरक्षित और स्थायी बनाया गया। भारत सरकार ने 1965 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में इस पुल का नाम ‘रवींद्र सेतु’ रखा। हालांकि लोग आज भी इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से जानते हैं।

हावड़ा ब्रिज की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व इसे दुनियाभर में प्रसिद्ध बनाते हैं। यह पुल न केवल कोलकाता की पहचान है, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला को भी दर्शाता है। 80 साल से अधिक पुराना यह पुल आज भी मजबूती और सुंदरता का प्रतीक बना हुआ है।

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