नई दिल्ली: धरती पर करीब 66 मिलियन साल पहले एक विशाल एस्टेरॉयड के गिरने से डायनासोर का अंत हो गया था। इस घटना ने पृथ्वी के वातावरण को पूरी तरह बदल दिया था, जिसके कारण धरती पर रहने वाले अधिकांश डायनासोर विलुप्त हो गए। माना जाता है कि यह एस्टेरॉयड आज के मैक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में गिरा था, जिससे चिक्सुलब क्रेटर बना। यह एस्टेरॉयड लगभग 10 किलोमीटर चौड़ा था, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई।

वातावरण में बदलाव के कारण हुआ विनाश

बता दें इस तबाही से डायनासोर का अंत तुरंत नहीं हुआ था। इस दौरान केवल वे जीव जो टकराव की जगह के पास थे, बस उन्हीं की जान गई थी। असली विनाश तो वातावरण में हुए बदलाव के कारण हुआ, जिससे डायनासोरों की अधिकांश प्रजातियां समाप्त हो गईं। हालांकि कुछ प्रजातियां जैसे मगरमच्छ और बड़े पक्षी, बच गए। वहीं कई समुद्री जीव जो आज भी जीवित हैं, उस समय भी अस्तित्व में थे।

क्या भविष्य में हो सकती है ऐसी घटना

अब सवाल यह उठता है कि अगर भविष्य में फिर से इतनी ही बड़ी घटना होती है तो क्या इंसान भी डायनासोर की तरह विलुप्त हो जाएंगे? वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर आज के समय में एक एस्टेरॉयड धरती की ओर आता है, तो आधुनिक तकनीक की मदद से उसे ट्रैक किया जा सकता है और धरती से टकराने से रोका जा सकता है। अगर एस्टेरॉयड का पता समय रहते चल जाए, तो उसे धरती से दूर हटाने के उपाय किए जा सकते हैं।

क्या इंसान के पास बचने के होंगे उपाय

वहीं अगर कोई एस्टेरॉयड अचानक से धरती की ओर तेजी से बढ़े और कुछ दिनों या घंटों में टकराने लगे, तब विनाश ज़रूर होगा। ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोटों से तबाही मचेगी। वहीं लाखों लोगों की मौत हो सकती है, लेकिन इंसान पूरी तरह खत्म नहीं होगा। आज की आधुनिक संरचनाएं जैसे बंकर, अंडरग्राउंड मेट्रो और गहरी खदानें इंसानों को कुछ समय तक सुरक्षित रख सकती हैं। इसके बाद भी इंसानों को ज्वालामुखी की राख, एसिडिक बारिश और फसल की बर्बादी जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा। लेकिन इन सबके बावजूद, इंसान के पास बचने के उपाय होंगे और वह किसी न किसी तरह जिंदा रहेगा।

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