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चीन-पाक पर दहशत के बादल, भारत ने बना लिया वो खतरनाक हथियार! दुश्मन पर करेगा साउंड स्पीड से 21 गुना रफ्तार से वार

India Hypersonic Missile: दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की आहट महसूस कर रही है। ऐसे में भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक सुपर एडवांस हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) आधारित मिसाइल सिस्टम 'ध्वनि' विकसित कर रहा है।

India Hypersonic Missile
inkhbar News
  • Last Updated: June 26, 2025 17:52:23 IST

India Hypersonic Missile: दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की आहट महसूस कर रही है। ऐसे में जो देश शक्ति संपन्न होंगे, विजय पताका उन्हीं की फहराएगी। इसी को देखते हुए भारत ने अपनी सामरिक तैयारियों को नई दिशा दी है। भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक सुपर एडवांस हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) आधारित मिसाइल सिस्टम ‘ध्वनि’ विकसित कर रहा है। यह मिसाइल न सिर्फ भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी, बल्कि दुनिया के सामने रक्षा क्षेत्र में भारत को एक मजबूत खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करेगी।

बताया जा रहा है कि ‘ध्वनि’ एक असाधारण मिसाइल होगी। इसे एक शक्तिशाली रॉकेट से ऊंचाई पर लॉन्च किया जाएगा। जिसके बाद यह अपने लक्ष्य तक हाइपरसोनिक स्पीड पहुंच सकेगी। यहीं नहीं यह दुश्मन के रडार को भी चकमा दे सकती है, जिससे इसे रोकना लगभग नामुमकिन है।

‘ध्वनि’ मिसाइल की खासियतें

  • यह मिसाइल उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदल सकती है। जिससे दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणाली इसे पकड़ने में विफल हो जाएगी।
  • 5500+ किमी की रेंज के साथ, यह मिसाइल एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों तक पहुँच सकती है। यह इसे अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की श्रेणी में लाता है।
  •  यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के पेलोड ले जाने में सक्षम है। जो इसे और अधिक घातक बनाता है।
  • इसमें वायुमंडलीय घर्षण से उत्पन्न 3000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी को झेलने के लिए एक विशेष गर्मी सुरक्षा प्रणाली है।
  • इसका मिश्रित विंग-बॉडी डिज़ाइन इसे रडार पर लगभग गायब होने में मदद करता है।
  • इसकी एक बड़ी खासियत है कि यह मैक 21 यानी करीब 25,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगी। यह ध्वनि की गति से 21 गुना तेज होगी, जिसकी रफ़्तार 1235 किमी/घंटा है।

2029-30 तक भारतीय सशस्त्र बलों का हिस्सा बन सकती है

‘ध्वनि’ मिसाइल हैदराबाद में DRDO की एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी (ASL) में विकसित हो रही है। यह मिसाइल 2029-30 तक भारतीय सशस्त्र बलों का हिस्सा बन सकती है। डीआरडीओ पहले ही मार्क 6 पर आधारित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण कर चुका है, जो ‘ध्वनि’ का आधार बनता है।

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भारत के लिए क्यों खास है ‘ध्वनि’?

‘ध्वनि’ मिसाइल भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी, जिनके पास हाइपरसोनिक हथियार तकनीक है। जैसे अमेरिका, रूस और चीन। इसके साथ ही ‘ध्वनि’ के शामिल होने से भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी। ‘ध्वनि’ के जरिए भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय भी लिख रहा है।

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