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तवायफों के लिए आखिरी मुजरा क्यों होता है बेहद दुखदाई ,जानें यहां

तवायफों के लिए आखिरी मुजरा क्यों होता है बेहद दुखदाई ,जानें यहांWhy is the last Mujra very painful for courtesans, know here

taviaef
inkhbar News
  • Last Updated: September 12, 2024 18:34:44 IST

नई दिल्ली :मुजरा एक नृत्य है कला है जो मुगल काल से शुरू होकर ब्रिटश काल तक खूब चर्चा में रही हैं.और आज भी कोठों में और महफिलों में इस कला की नुमाइश की जाती है. बस केवल तरीका और संगीत अलग हो गया है.एक समय में तवायफों के लिए मुजरा बहुत खास हुआ करता था.लेकिन अंतिम मुजरा में हर तवायफ दुखी क्यों होती है.आईए जानते है.

आखिरी मुजरा पर क्यों होती है उदास

किसी तवायफ का आखिरी मुजरा जब होता है तो वह खुश नहीं बल्कि बेहद दुखी होती है.अंतिम मुजरा एक रस्म होती है.इस रस्म के मुताबिक जिस दिन तवायफ का आखिरी मुजरा होता है उसके बाद वह कभी महफिल मं नाच नहीं सकती है.अंतिम मुजरा करने के बाद तवाइफ की बोली लगती है.उस बोली को जितने वाले की तवायफ एक तरह से गुलाम बन जाती है.इसलिए हर तवायफ अपने अंतिम मुजरे के रस्म के दौरान दुखी होती है क्योंकि इसके बाद उसकी जिंदगी बदल जाती है.तवायफ का अपने जिंदगी पर हक खत्म हो जाता है.

मालिक को खुश करना

आखिरी मुजरे के बाद तवायफो का मेन काम केवल अपने मालिक को खुश करना होता है.इस रस्म को नथ उतराई भी कहते है.इस रस्म के बाद तवायफ केवल अपने मालिक के साथ फिजिकल रिलेशन बना सकती है.वह केवल उनके लिए महफिल सजाती है