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डायबिटीज से रहें सावधान, रखें अपना खास ध्यान

आज के टाइम में डायबिटीज एक बड़ी समस्या बन चुकी है. दुनिया की एक-तिहाई आबादी इससे पीड़ित है. डायबिटीज का सबसे बुरा असर इंसान के लाइफस्टाइल पर पड़ता है. हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है फिर भी परहेज और दूसरे घरेलू उपायों की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

Diabetes
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  • Last Updated: November 26, 2015 13:00:35 IST
नई दिल्ली. आज के टाइम में डायबिटीज एक बड़ी समस्या बन चुकी है. दुनिया की एक-तिहाई आबादी इससे पीड़ित है. डायबिटीज का सबसे बुरा असर इंसान के लाइफस्टाइल पर पड़ता है. हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है फिर भी परहेज और दूसरे घरेलू उपायों की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
 
डायबिटीज के मरीज के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि वे कुछ चीजों का परहेज करें. कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिससे ब्लड में शुगर का लेवल बढ़े.
 
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* तुलसी की पत्तियां
तुलसी की पत्तियां एंटीऑक्सीडेंटस तेल से भरपुर होती है. जो यूग्नोल, मिथाइल यूगेनोल और केरियोफिलीन की जरुरत को पुरा करती हैं. ये यौगिक पैंक्रियाटिक बीटा कोशिकाओं को उचित तरीके से काम करने में और इन्सुलिन के लिए संवेदनशील बनाने में सहायक होते हैं. तुलसी की दो तीन पत्तियां या एक टेबलस्पून तुलसी का रस खाली पेट लेने से ब्लड शुगर का स्तर घटता है.
 
* अलसी के बीज
अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. जिसके कारण ये फैट और शुगर का उचित अवशोषण करने में सहायक होता है. अलसी के बीज डाइबिटीज़ के मरीज़ की खाने के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं. रोजाना सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लें.
 
* बिलबेरी (नीलाबदरी) पौधे की पत्तियां
आयुर्वेद में कई सदियों से बिलबेरी की पत्तियों का उपयोग डाइबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. हाल ही में जर्नल ऑफ न्यूट्रीशियन में बताया गया कि बिलबेरी की पत्तियों में एंथोसियानइदीन उच्च मात्रा में पाया जाता है. जो ग्लूकोज़ परिवहन और वसा के चयापचय में शामिल विभिन्न प्रोटीन की काम करने की क्षमता को बढ़ाते हैं. इससे बिलबेरी की पत्तियां खुन सैकरोज के स्तर को कम करने के लिए अच्छा रहता हैं. बिलबेरी की पत्तियों को ओखली और मूसल में पीसें और रोजाना खाली पेट 100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करें.
 
* दालचीनी
दालचीनी के नाम से भी जाना जाने वाला ये पदार्थ इन्सुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है और खुन में ग्लूकोज़ के स्तर को कम करता है. रोजाना आधा टी स्पून दालचीनी का सेवन करने से इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है और वज़न नियंत्रित होता है. जिससे हृदय रोग की संभावना कम होती है. ब्लड शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक रोजाना आहार में 1 ग्राम दालचीनी शामिल करें.
 
* ग्रीन टी
चाय की पत्तियों की तरह ग्रीन टी अन्फर्मेंट होती है और इसमें पॉलीफ़िनाल घटक उच्च होता है. पॉलीफिनॉल एक मज़बूत एंटीऑक्सीडेंट और हायपो ग्लास्मिक यौगिक होता है. जो ब्लड शुगर के स्त्राव को नियंत्रित करता है और शरीर को इन्सुलिन का उचित उपयोग करने में सहायता देता है. गर्म पानी में ग्रीन टी की एक बैग 2-3 मिनिट तक डुबाकर रखें. बैग निकालें और इस चाय का एक कप सुबह या खाने के पहले पीयें.
 
* ड्रमस्टिक (अमलतास) की पत्तियां
मुनगे के नाम से भी पहचाने जाने वाले इस पौधे की पत्तियां उर्जा बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं. डाइबिटीज़ के मामले में मुनगे की पत्तियां संतृप्ति को बढ़ाती हैं और खाने के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करती है और ब्लड शुगर के स्तर को कम करती है. ड्रमस्टिक की कुछ पत्तियां लें. उन्हें धोकर उनका रस निकालें. एक चौथाई कप रस लें तथा ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसे पीयें.
 
* नीम
भारत में ज्यादा मात्रा में पाए जाने वाले नीम की पत्तियों में आश्चर्यजनक औषधीय गुण पाए जाते हैं. नीम इन्सुलिन संग्राहक संवेदनशीलता को बढ़ाता है. रक्त वाहिकाओं को प्रसारित करके रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है. ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को कम करता है और हाइपोग्लास्मिक औषधियों पर निर्भरता कम करता है. उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए नीम की कोमल पत्तियों का रस खाली पेट पीयें.

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