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स्तनपान नहीं कराने से दुनिया को 300 अरब डॉलर का घाटा

बच्चे को जन्म के बाद छह महीने की उम्र तक सिर्फ मां का दूध मिलना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी वरदान साबित हो सकता है, ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च से ये बात साबित कर दी है.

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  • Last Updated: January 30, 2016 16:29:35 IST
वाशिंगटन. बच्चे को जन्म के बाद छह महीने की उम्र तक सिर्फ मां का दूध मिलना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी वरदान साबित हो सकता है, ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च से ये बात साबित कर दी है.
 
दुनिया की बड़ी साइंस पत्रिका में शामिल The Lancet में स्तनपान के फायदों पर छपी इस रिसर्च के मुताबिक छह महीने तक सिर्फ मां का दूध पीने वाले बच्चे पढ़ाई-लिखाई में बेहतर करते हैं और काम-काज में उनकी प्रोडक्टिविटी शानदार होती है.
 
स्तनपान से पला-बढ़ा बच्चों में बीमारी कम होती है जिससे परिवार पर इलाज का खर्च कम आता है और सामूहिक रूप से देश के पैसे व संसाधन की भी बचत होती है.
 
रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि बच्चों को स्तनपान न कराने की वजह से लोगों की बौद्धिक क्षमता में जो कमी रह जाती है उसके असर को पैसे में कन्वर्ट करके देखा जाए तो यह नुकसान 300 अरब डॉलर सालाना का है. पूरी दुनिया की दवा इंडस्ट्री करीब 300 अरब डॉलर की है.
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक मां का दूध पीने से हर साल 20,000 स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है. स्तनपान से हर साल 5 साल से कम उम्र के 8 लाख 20 हजार बच्चों की मौत को भी रोका जा सकता है. स्तनपान से डायरिया जैसी बीमारियों से भी बच्चों को बचाया जा सकता है.
 
दुनिया भर में सिर्फ 35.7 फीसदी औरतें ही बच्चों को स्तनपान कराती हैं जबकि सभी बच्चों को जन्म से छह महीने तक अनिवार्य रूप से स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है. विश्व स्वास्थ्य सभा ने 2025 तक स्तनपान दर को 50 परसेंट पर ले जाने का लक्ष्य रखा है.
 
रिसर्च में कहा गया है कि अगर अमेरिका, चीन और ब्राजील में स्तनपान की दर 90 परसेंट और ब्रिटेन में 45 परसेंट तक ले जाएं तो ये बच्चों में होने वाली आम बीमारियों को रोकेगा जिससे अमेरिका में 2.45 अरब डॉलर, ब्रिटेन में 29 मिलिन डॉलर, चीन में 2.23 अरब डॉलर और ब्राजील में 6 मिलियन डॉलर की बचत होगी.
 

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