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वर्ल्ड क्लास रेस्तरां को एक या दो स्टार रेटिंग देने वाली मिचलिन असल में टायर बनाती है

आज हम आपको दुनिया भर के रेस्तरां और होटल को उनके हॉस्पिटैलिटी के तर्ज पर रेटिंग देने वाली कंपनी मिचलिन के बारे में बताएंगे. दरअसल मिचलिन एक टायर बनाने वाली कंपनी है. साथ-साथ होटल भी चलाती है और पूरी दुनिया में अपने होटल के चेन को प्रमोट करती है.

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  • Last Updated: September 17, 2017 13:33:31 IST
नई दिल्ली: आज हम आपको दुनिया भर के रेस्तरां और होटल को उनके हॉस्पिटैलिटी के तर्ज पर रेटिंग देने वाली कंपनी मिचलिन के बारे में बताएंगे. दरअसल मिचलिन एक टायर बनाने वाली कंपनी है. साथ-साथ होटल भी चलाती है और पूरी दुनिया में अपने होटल के चेन को प्रमोट करती है.  
 
इस ब्रेंड ने अभी तक पूरी दुनिया में कई रेस्तरां को अच्छी रेटिंग दी है और कईयों की रेटिंग गिराई भी है. इस बारे में सेलिब्रेटी सेफ गोर्डन रामसे ने बताया कि जब मिचलिन ने हमारे रेस्तरां के स्टार को छीन लिया तो वह अनुभव बिल्कुल गर्लफ्रेंड छिनने जैसा था.
 
सेफ के मुताबिक ये बहुत ही शर्म की बात है जहां मिचलिन एक तरफ टायर बनाती है वहीं दूसरी तरफ होटल को रेटिंग देती है. आपको बता दें कि मिचलिन का इतिहास काफी पूराना है. 1900 ई में इस कंपनी ने सबसे पहले रोड ट्रिपिंग के लिए गाइड बुक बनाया था. उसके बाद 1926 में इस कंपनी ने गुमनाम समीक्षक के तौर पर रेस्तरां को रेटिंग देना शुरू किया.
 
आज तक, मिचलिन पूरी दुनिया में कई रेस्ट्रां की समीक्षा कर चुकी है. दूसरे समीक्षक जब होटल को रिव्यू करते हैं तो वह होटल की डिजाइन और उससे साज सज्जा और खाने के टेस्ट के आधार पर रेटिंग देते हैं. लेकिन मिचलिन का तरीका बिल्कुल अलग है, वह गुणवत्ता, तकनीक, व्यक्तित्व और खाना को प्रेजेंट करने का तरीके को ज्यादा महत्व देती है. आपको बता दें कि मिचलिन 0 से लेकर 3 स्टार तक देती है. 
 
मिचलिन किसी रेस्तरा को जब रेटिंग देती है तो वो होटल के इंटीरियर, साज-सज्जा, टेबल सेटिंग या सेवा की गुणवत्ता को नहीं देखती. हालांकि गाइड में कांटे और चम्मच दिखाए जाते हैं, जो बताता है कि कैसे एक फैंसी या एट्रेक्टिव रेस्तरां हो सकता है.
 
वहीं फोर्ब्स अगर होटल के 800 क्वालिटी रेटिंग करती है तो वो सबसे पहले होटल की बनावट, मटीरियल का यूज, कैंडिल, फूल और जूस सर्व के साथ-साथ होटल की पार्किंग की सुविधा भी देखती है. इसके बाद ही होटल व रेस्तरा की रेटिंग तय की जाती है. जबकि मिचलिन सिर्फ और सिर्फ खाना को ध्यान में रख कर रेटिंग करती है.
 
1 स्टार:
मिचलिन के मुताबिक वन स्टार ऐसे होटल को कहते हैं जहां सस्ता और टेस्टी खाना मिलता है. साथ में काफी हद तक बेहतर हॉस्पिटैलिटी मिलती है. 
 
2 स्टार:
मिचलिन के मुताबिक 2 स्टार होटल वो होते हैं जहां खाना स्टाइलिश बर्तन में परोसे जाते हैं. जिससे की खाने वाले को एक अलग अनुभव होता है. बेशक खाना भी टेस्टी होता है. 
 
3 स्टार:
ऐसे होटल में खाना लाजवाब होने के साथ खाने में वैराइटी बहुत ही ज्यादा हो. खाने वाले के हिसाब से आइटम्म मौजूद रहते हैं. मतलब आप लोकेलिटी के हिसाब से जो डिमांड कर दे उसके मिलने की पूरी संभावना रहती है. जबकि वन और टू स्टार होटल में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. यहां का खाना थोड़ा महंगा भी हो सकता है. 
 
तो इस तरह मिचलिन जब होटल की रेटिंग करती है सिर्फ खाने की क्वालिटी के आधार पर और उसे होटल या रेस्तरां का खाना पसंद आने के बाद “बिब गोरमांड” का अवार्ड भी देती है. आपको बताते चले कि रेस्तरां इन सितारों की लालच इसलिए करते हैं क्योंकि आज-कल इतने ज्यादा रेस्टोरेंट खुल गए है कि मार्केट वेल्यू कम होती जा रही इसलिए ये होटल स्टार पाने की लालसा में लगे रहते हैं.
 
उदाहरण के लिए, मिचलिन गाइड टू शिकागो 2014 में लगभग 500 रेस्तरां शामिल हैं. इसमें केवल एक रेस्टोरेंट को थ्री स्टार मिला है. चार रेस्तरां को टू स्टार और 20 रेस्तरां को वन स्टार मिला है.
 
बता दें कि मिचलिन गाइड की आलोचना भी बहुत होती है. कई लोगों का कहना है कि ये फ्रेंच खाने और स्टाइल को तरजीह देती है. 
2016 की एक घटना है जब मिचलिन स्टार ने सिंगपुर के रोड के किनारे एक फूड स्टाल को सिर्फ इसलिए ‘वन स्टार’ से नवाज दिया क्योंकि वहां खाना सस्ता और टेस्टी मिल रहा था. एलिस के मुताबिक मिचलिन गाइड काफी आउटडेटेड है और होटल को रेटिंग देने का तरीका भी काफी पुराना है.
 
 

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