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परंपरा के विपरीत यहां नहीं जलाया जाता रावण का पुतला

दशहरे पर जहा देश भर में रावण के पुतले को फुंका जाता है वहीं हिमाचल प्रदेश के प्राचीन तीर्थ शहर बैजनाथ में पंरपरा के विपरित रावण का पुतला नहीं जलाया जाता. लोगों का मानना है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था और उसके पुतले को जलाने पर भगवान शिव के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है. न तो रावण का पुतला बनाया जाता है न हीं जलाया जाता है. दशहरा के अवसर पर लोग पटाखे और मिठाइयां भी नहीं खरीदते.

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  • Last Updated: October 22, 2015 18:15:49 IST
बैजनाथ. दशहरे पर जहा देश भर में रावण के पुतले को फुंका जाता है वहीं हिमाचल प्रदेश के प्राचीन तीर्थ शहर बैजनाथ में पंरपरा के विपरित रावण का पुतला नहीं जलाया जाता.
 
लोगों का मानना है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था और उसके पुतले को जलाने पर भगवान शिव के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है. न तो रावण का पुतला बनाया जाता है न हीं जलाया जाता है.  दशहरा के अवसर पर लोग पटाखे और मिठाइयां भी नहीं खरीदते.
 
बैजनाथ मंदिर के एक पुजारी ने बताया रावण ने वर्षो भगवान शिव की तपस्या की और उसने ही शिवलिंग को उस स्थान पर स्थापित किया, जहां आज यह मंदिर है. माना जाता है कि 1204 ईसवीं में मंदिर के निर्माण के समय से अब तक यहां निर्विघ्न पूजा जारी है. 
 
यह मंदिर नगाड़ा शैली और प्रारंभिक मध्यकालीन उत्तर भारतीय वास्तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है. मंदिर की देखरेख का जिम्मा भारतीय पुरातत्व विभाग के हाथों में है. 
 
 

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