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भूल से भी प्रीमेच्योर बेबी का ध्यान रखते वक्त न करें ये गलती, हो सकती हैं बड़ी बात

नई दिल्ली : आजकल प्रीमेच्योर बेबी होना सामान्य बात हो गई है। सामान्यतः बच्चे का जन्म 9 महीने गर्भ में रहने के बाद होता है। वहीं, ऐसे बच्चे जिनका जन्म समय से पहले हो जाता है। उसे प्रीमेच्योर बेबी कहते हैं। डॉक्टर प्रीमेच्योर बेबी का ज्यादा ख्याल रखने की सलाह देते हैं। अगर आपके घर […]

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  • Last Updated: June 8, 2022 22:24:13 IST

नई दिल्ली : आजकल प्रीमेच्योर बेबी होना सामान्य बात हो गई है। सामान्यतः बच्चे का जन्म 9 महीने गर्भ में रहने के बाद होता है। वहीं, ऐसे बच्चे जिनका जन्म समय से पहले हो जाता है। उसे प्रीमेच्योर बेबी कहते हैं। डॉक्टर प्रीमेच्योर बेबी का ज्यादा ख्याल रखने की सलाह देते हैं। अगर आपके घर में प्रीमेच्योर बेबी का जन्म हुआ है, तो बच्चे की देखभाल के लिए इन बातों को ध्यान अवश्य रखें।

 

1. प्रीमेच्योर बेबी को हमेशा ब्रेस्टफीड करवानी चाहिए। कई लोग बच्चे को गाय का दूध पिलाते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। कम से कम 6 महीने तक मां का दूध पीना बच्चे की सेहत के लिए अच्छा होता है। हाँ, आप छह महीने बाद बच्चे को गाय का दूध पिला सकते हैं।

2. डॉक्टर की मानें तो प्रीमेच्योर बेबी को दिन में कम से कम 8 या 10 बार दूध पिलाना चाहिए। एक चीज़ का अवश्य ध्यान दें कि दो बार दूध पिलाने के बीच में कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिए। वहीं, 4 घंटे से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

3. बच्चे की सेहत को मॉनिटर करते रहें। उसके विकास पर ध्यान दें। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि प्रीमेच्योर बेबी का विकास सही से नहीं हो पाता है। बच्चे की सुनने और देखने की शक्ति कम होती हैं। इसके लिए नियमित अंतराल पर डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक हैं।

4. एक्सपर्ट्स की मानें तो प्रीमेच्योर बेबी को नींद ज्यादा आती है। इसके लिए घर का वातावरण शांत रखें। ज्यादा शोरगुल न करें। इससे बच्चे की नींद में खलल हो सकती है। वहीं, बच्चे को हमेशा पीठ के बल सुलाएं। प्रीमेच्योर बेबी को तकिया बिल्कुल न लगाएं।

5. बच्चे को कब भूख लगती है, कब नींद आती है ? इन सब चीजों का ध्यान रखें।

6. बच्चे को कभी गलती से भी अकेला न छोड़ें। बच्चे को आसपास रखकर ही अपना काम करें।

7. अगर बच्चे को नहलाना चाहते हैं, तो गुनगुने गर्म पानी से ही नहलाएं।

8. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार इन बच्चे की इम्युनिटी बेहद कमजोर होती है। इसके लिए बच्चे को बाहरी वातावरण से दूर रखना चाहिए।

 

(डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें । बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)