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रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, 2050 तक भारत में 440 मिलियन से अधिक लोग होंगे मोटापे का शिकार

एक वैश्विक रिपॉर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक भारत में 440 मिलियन से अधिक लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। बाल एवं किशोर स्वास्थ्य पर भी यह रिपोर्ट चिंताजनक आंकड़े पेश करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोटापे पर चिंता जताई थी.

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  • Last Updated: March 4, 2025 09:41:52 IST

नई दिल्ली: एक वैश्विक रिपॉर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक भारत में 440 मिलियन से अधिक लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। यह अध्ययन ‘द लैंसेट’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि इस संख्या के साथ भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर होगा, जबकि अये भी पढ़ें: मेरिका, ब्राजील और नाइजीरिया तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहेंगे।

2050 तक मोटापे की संख्या

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2021 अध्ययन के तहत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने यह विश्लेषण किया। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में 180 मिलियन से अधिक लोग मोटापे या अधिक वजन की समस्या से जूझ रहे थे, जिसमें 81 मिलियन पुरुष और 98 मिलियन महिलाएं शामिल थीं। 2050 तक यह संख्या 218 मिलियन पुरुष और 231 मिलियन महिलाओं तक पहुंच सकती है।

रिपॉर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 2050 तक मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़कर 3.8 बिलियन तक पहुंच सकती है, जो संभावित वैश्विक वयस्क आबादी का 50% से अधिक होगा। उप-सहारा अफ्रीका में मोटापे की दर 254.8% तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

17 मिलियन महिलाएं मोटापे से पीड़ित

बाल एवं किशोर स्वास्थ्य पर भी यह रिपोर्ट चिंताजनक आंकड़े पेश करती है। 5-14 वर्ष की आयु के लगभग 16 मिलियन लड़के और 14 मिलियन लड़कियां 2050 तक अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकती हैं। वहीं 15-24 आयु वर्ग में भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल हो सकता है, जहां 22 मिलियन से अधिक पुरुष और 17 मिलियन महिलाएं मोटापे से पीड़ित हो सकती हैं।

मोटापे की समस्या

अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य मीट्रिक और मूल्यांकन संस्थान (IHME) की प्रमुख लेखिका इमैनुएला गाकिडो ने इस बढ़ते खतरे को “गंभीर वैश्विक संकट” बताया है। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन सरकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों को मोटापे की समस्या से निपटने में और उनकी पहचान करने में मदद कर सकता है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोटापे पर चिंता जताई थी और एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए इससे निपटने की आवश्यकता पर बल दिया था।

विशेषज्ञों ने मोटापे के आकलन के लिए पारंपरिक बॉडी मास इंडेक्स (BMI) विधि के बजाय एडवांस तरीकों को अपनाने की जरूरत बताई है। लैंसेट आयोग की एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मोटापे के सही आकलन के लिए कमर की माप और कमर-हिप अनुपात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

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